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फिरोजाबाद के एक भू.पू. विधायक श्री जगन्नाथ लहरी ने बाबूजी को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा था- 'जहां तक हमारी जानकारी और विश्वास है हम यह कह सकते हैं कि अगर बाबू हजारीलाल जैन ने इतना परिश्रम न किया होता तो यह अस्पताल यहां कभी भी निर्मित नहीं होता । जिस दिन (1 जून 1945 ) से वे अस्पताल कमेटी के अवैतनिक मंत्री चुने गये थे उसी दिन से उन्होंने अपनी पूरी शक्ति इसके निर्माण में लगा दी और मृत्युपर्यन्त (10 जुलाई 1965 ) इसी में लगे रहे। भारत के स्वाधीनता आंदोलन की प्रमुख महिला और स्वतंत्र भारत में उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल सरोजनी नायडू से मिले सहयोग के परिणामस्वरूप इस अस्पताल का नाम सरोजिनी नायडू हास्पिटल रखा गया।
भू. पू. अध्यक्ष नगर कांग्रेस कमेटी, फीरोजाबाद, श्री रामस्वरूप शर्मा ने बाबूजी की सेवाओं का स्मरण करते हुए कहा था- 'हमें उनकी स्मृति को स्थायी बनाने तथा उनके उपकारों के प्रति कृतज्ञता प्रकाशन स्वरूप स्थानीय सरोजनी नायडू स्मारक चिकित्सालय में उनकी प्रतिमा स्थापित करना चाहिए। जहां के कण-कण में उनका शरीर लगा हुआ है और जो केवलमात्र उन्हें के प्रयत्नों के फलस्वरूप ऐसा सुन्दर और उपयोगी रूप
प्राप्त कर सका ।'
निःसन्देह फिरोजाबाद के सरोजिनी नायडू स्मारक चिकित्सालय के निर्माण और विकास के लिए बाबू हजारीलाल की सेवाएं अद्वितीय हैं लेकिन उनकी सेवा का श्रेय केवल अस्पताल तक ही सीमित नहीं था । सच तो यह है कि समाज सेवा का कोई क्षेत्र उनकी सेवाओं के योगदान से अछूता नहीं था।
श्री तिलक विद्यालय इण्टर कालेज के वे प्रथम प्रबन्धक थे। श्री पी. डी. जैन इण्टर कालेज के प्रमुख संस्थापकों में से एक हैं तथा वे इसके प्रबन्धक एवं अध्यक्ष भी रहे। बहुत कम लोगों को विदित होगा नगर में
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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