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है। आपने अपना पुस्तकालय भी इस संस्था को दान में दिया है।
जीवन में 'व्यक्तिगत उत्थान के महत्व एवं उसकी उपयोगिता को दृष्टि में रखते हुए आपने 'पारख - मण्डल' की स्थापना की। यह संस्था भी बहुत ही उपयोगी सिद्ध हुई । इसके माध्यम से अनेकों व्यक्तियों ने आत्मचिन्तन की दिशा में अच्छी प्रगति की है। एक राजनैतिक दल से जुड़े होने पर भी आप दलगत राजनीति से सदैव दूर रहते थे। आपके जीवन से समाज की महती सेवा तथा प्रशंसनीय कार्य हुए हैं। आपमें जितनी उच्च शिक्षा थी उतनी ही नम्रता भी थी। आप जिस कार्य को आरम्भ कर देते थे उसके सम्पूर्णति तक पूरी लगन के साथ उसमें जुटे रहते थे । अभिमान शून्य और समाज के अग्रणीय महानुभावों में आपका स्मरण किया जाता है ।
प्रसिद्ध साहित्यकार एवं पत्रकार पं. बनारसीदास चतुर्वेदी के शब्दों में 'उनका जीवन परिश्रमशीलता, आदर्शवादिता, परोपकारिता और अदम्य उत्साह के लिए उदाहरण के रूप में पेश किया जा सकता है।' इसमें कोई शक नहीं कि आधुनिक काल में हमारे नगर में भाई हजारीलाल जैन से बढ़कर दूसरा कोई नगर सेवक दिखाई नहीं देता ।
इस शताब्दी के छठे दशक के पूर्वाद्ध में बत्तीस एकड़ के विस्तृत एवं विशाल भू. भाग पर तब लगभग बीस लाख रुपयों की लागत से उ. प्र. सरकार द्वारा निर्मित- फिरोजाबाद का सुविशाल सरोजिनी नायडू स्मारक चिकित्सालय बाबू हजारीलाल के बहुमूल्य जीवन के बेशकीमती बीस वर्ष की सतत् साधना एवं घोर परिश्रम का ही सुफल है। सुप्रसिद्ध पत्रकार श्री रतन लाल बंसल के अनुसार- 'यह ऐसा कठिन कार्य था जिसमें बाबू हजारी लाल जैसा आत्म विश्वासी व्यक्ति ही सफल हो सकता था । निश्चय ही फिरोजाबाद में कोई ऐसा दूसरा व्यक्ति नहीं था, जो इस कार्य को सिद्ध कर पाता' ।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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