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दालान आता है। दालान के बायीं तरफ एक कमरा बना है जिसमें ऊपर जाने का रास्ता है। दालान के बाद चौक है। चौक के दायें-बायें दालन हैं।
दाईं ओर के दालान में आचार्य श्री महावीर कीर्ति जी एवं आचार्य श्री विमलसागर जी महाराज की मार्बल की प्रतिमायें हैं तथा उनके बगल में पद्मावती देवी की वेदी है जिसमें दो देवियां शृंगार सहित विराजमान हैं। पद्मावती देवी के फण पर भगवान पार्श्वनाथ विराजमान हैं ।
चौक के बाद फिर एक दालान है। इस दालन में दायीं ओर वेदी मार्बल की 5 पद्मासन प्रतिमायें सफेद पाषाण की तथा दो खड्गासन प्रतिमाएं सफेद पाषाण की विराजमान हैं। मूलनायक श्री आदिनाथ भगवान हैं वृषभ चिन्ह है ।
इस दालान के बायीं ओर वेदी में सात प्रतिमाएं सफेद पाषाण की पद्मासन विराजमान हैं। मूलनायक श्री पार्श्वनाथ की कृष्ण वर्ण पाषाण की प्रतिमा है ।
इस दालान के बाद गर्भ गृह में एक वेदी है जिसमें मूलनायक श्री नेमिनाथ भगवान की कृष्ण वर्ण पाषाण की प्रतिमा विराजमान है। 8 प्रतिमाएं धातु की पद्मासन 2 सिद्ध भगवान की धातु की तथा आगे की ओर धातु में उत्कीर्ण चौबीसी बनी है एवं बीच में पार्श्वनाथ भगवान हैं। इसी की बगल में धातु में 6 प्रतिमायें उत्कीर्ण हैं। यह वेदी मूल वेदी है।
इस मूल वेदी की परिक्रमा में बाएं एक वेदी नंगकुमार महाराज की है। यह प्रतिमा पाषाण की खड्गासन है एवं इसमें धातु की पद्मासन 10 प्रतिमाएं, 2 प्रतिमाएं धातु की खड्गासन, चतुर्मुखी धातु की प्रतिमाजी विराजमान हैं।
परिक्रमा में ही दायीं ओर की वेदी में अनंगकुमार जी की सफेद पाषाण की खड्गासन प्रतिमा तथा 14 प्रतिमाएं धातु की पद्मासन विराजमान हैं। इस वेदी के फ्रेम के ऊपर भूतपूर्व अध्यक्ष मंदिर नं. 5 श्री फूलचन्द का
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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