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प्राचीन मंदिर के नीचे बाबा ऋषभदास की ध्यान मुद्रा है। यहां प्रति तीसरे वर्ष मेला लगता है।
मार्ग-यहां पहुंचने के लिए समीप का रेलवे स्टेशन फिरोजाबाद है। यहां से क्षेत्र 22 कि.मी. दूर है। फरिहा कोटला-फिरोजाबाद रोड, टूण्डला-एटा रोड, फरिहा-मैनपुरी रोड से बस द्वारा फरिहा पहुंचा जा सकता है। फरिहा से यह क्षेत्र 4 फलांग है।
समाज का योगदान-श्री भगवत स्वरूप जी भगवत' ने अपने जीवन की सेवाएं अर्पित की।
लाला केशव देव जी इस क्षेत्र की कमेटी के अध्यक्ष रहे और कमेटी के माध्यम से वृक्षारोपण जैसे राष्ट्रीय कार्य किये।
श्री जगरूप सहाय जी के ताऊ श्री बनारसीदास जी ने कई कमरे बनवाये।
सन् 1963 में ऋषभ भगवान की विशाल प्रतिमा पंच कल्याण मेला कराकर क्षेत्र पर विराजमान कराने का श्रेय श्री भगवत स्वरूप जी 'भगवत' को है।
श्री सुनहरीलाल जी आगरा ने प्रवेश द्वार बनवाया। श्री प्रेमकुमार जी तथा सुनहरीलाल जी क्षेत्र कमेटी के ट्रस्टी भी रहे।
शौरीपुर-बटेश्वर शौरीपुर उत्तर प्रदेश के आगरा जिले में स्थित है। उत्तर रेलवे की आगरा-कानपुर लाइन पर शिकोहाबाद जंक्शन है। यहां से 25 कि.मी. दूर शौरीपुर है। आगरा से दक्षिण-पूर्व की ओर बाह तहसील में 7 कि.मी. दूरी पर बटेश्वर उपनगर है। यहां 5 कि.मी. दूर यमुना नदी के खारो में फैले हुए खण्डहरों में शौरीपुर क्षेत्र स्थित है। आगरा से बटेश्वर तक पक्की सड़क है और बस सेवा उपलब्ध है। यह क्षेत्र मूलतः दि. जैन तीर्थ है। पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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