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स्वर्गवास हो गया। उनके सर्वश्री नगीनचन्द, प्रवीनकुमार, सुनीलकमार आदि पुत्र हैं। श्री नेमीचन्द जी के दूसरे. पुत्र श्री कैलाशचन्द जैन (राजा) हैं। इनके एक पुत्र का कुछ दिन पहले स्वर्गवास हो गया है। एक पुत्र ही उनकी आशाओं का केन्द्र है।
श्री डालचन्द जी के बड़े पुत्र श्री सतीशचन्द जी का 1963 में स्वर्गवास हो गया। उनके पुत्र का नाम श्री अनीश (आशु) है। श्री डालचन्द जी के दूसरे पुत्र श्री देवेन्द्रकुमार जैन के प्रारंभिक जीवन में समाजसेवा की लगन रही है। श्री डालचन्द जी के तीसरे पुत्र श्री राजेन्द्रकुमार जी का 1984 में स्वर्गवास हो गया। इनके सुमित और पुनीत पुत्र हैं। श्री डालचन्दजी के चौथे पुत्र श्री वीरेन्द्र कुमार हैं। श्री वीरेन्द्र जी और उनके पुत्र गली खजांची के चैत्यालय में नित प्रति भगवान का अभिषेक और पूजन करते हैं। इनक पांचवे पुत्र डा. प्रमोदकुमार जैन हैं। डॉ. प्रमोद अपने व्यवसाय के प्रति ईमानदार, समर्पित और ख्याति प्राप्त शल्य चिकित्सक (सर्जन) हैं। उनके मानवीय व्यवहार और उदार समाज सेवा के लिए कई संस्थाओं ने उनको सम्मानित किया है। पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत ने भी दो बार फिक्की सभागार में इनको सम्मानित कर प्रसन्नता अनुभव की है।
श्री अटलचन्द जी का 1974 में स्वर्गवास हो गया । सर्वश्री पदमचन्द और अरुणकुमार इनके दो पुत्र हैं। श्री पदमचन्द जी पद्मावती पुरवाल पंचायत के अध्यक्ष रहे हैं। इनके कार्यकाल में लगभग 60 वर्ष पूर्व निर्मित मंदिरजी का प्रथम जीर्णोद्धार हुआ है।
श्री मोतीरामजी का 1976 में स्वर्गवास हुआ। सर्वश्री प्रकाशचन्द और रमेशचन्द, मुकेशचन्द और महेन्द्रकुमार इनके पुत्र हैं। श्री प्रकाशचन्द जी पंचायत के लगभग 10 वर्ष तक कार्यकारिणी के सदस्य रहे हैं।
श्री गुलजारीलाल जी का 1995 में स्वर्गवास हुआ। अपने व्यवसाय को पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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