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स्व. श्री हरीशचन्द जैन
बचपन में मां बाप की मृत्यु के कारण नानी की गोद में पले श्री हरीश्चंद जी अहारन से यहां आकर दिल्ली में रह रहे स्व. श्री वृन्दावनदासजी के परिवार के साथ, जो उनके रिश्तेदार थे, साथ रहे। बाद में वह दिल्ली के बनकर ही रह गये। यहां उन्होंने बिस्तागीरी की दुकान की । वे अनुशासन प्रिय और खरे व्यक्ति थे। पंचायत के सभी आयोजनों में भाग ते थे । रथोत्सव आदि की बोलियां बोलने में सिद्धहस्त थे। लगभग 15 वर्ष पूर्व उनका स्वर्गवास हो गया ।
श्री हरीशचन्द जी के कोई पुत्र नहीं था अतः उन्होंने अपने रिश्तेदार की एक कन्या रीना को गोद लेकर उसके हाथ पीले कर दिये । श्री हरीशचन्द जी की धर्म पत्नी श्रीमती शांतिदेवी के स्वर्गवास के बाद उनके दामाद और पुत्री ने श्री हरीशचंद और श्रीमती शांति देवी की स्मृति में काफी कुछ दान देकर विभिन्न स्थानों पर निर्माण कार्य कराये हैं ।
स्व. श्री छोटेलाल जैन दिल्ली गेट / गांधी नगर
आगरा जिले के पानी गांव देवा के श्री बाबू राम जी का होनहार बालक छोटेलाल छोटी उम्र में ही शिक्षा प्राप्त करने 1934-35 में दिल्ली आया । जैन स्कूल दरियागंज में 10 वीं कक्षा पास करने के बाद पंजाब विश्वविद्यालय से हिन्दी प्रभाकर की परीक्षा पास कर 1948 में पोस्ट आफिस में सर्विस करली। सरकारी नौकरी के माध्यम से रोजी-रोटी का साधन हो जाने पर श्री छोटे लाल जी का एटा के प्रसिद्ध परिवार की कन्या से विवाह कर दिया गया ।
बचपन से ही अभाव ग्रस्त जीवन के आदी श्री छोटेलालजी अभिमान और प्रदर्शन से दूर रहकर अपनी जिम्मेदारियों को निवाहने के लिए कृत पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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