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आगे बढ़ाने के साथ-साथ अपने जीवनकाल में उन्होंने यथासम्भव दान देकर कई जगहों पर निर्माण कार्य कराये ।
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पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत के वे लगभग 10-12 वर्ष उपाध्यक्ष रहे। गुरुभक्त श्री गुलजारीलाल जी मुनि श्री विद्यानन्दजी महाराज के परम भक्त थे । कुन्दकुन्द भारती के मंदिर में भगवान भरत की मूर्ति आपकी ओर से ही विराजमान की गई है। श्री गुलजारीलाल जी के बड़े पुत्र श्री बसंतलाल जी का 1994 में स्वर्गवास हो गया । सर्वश्री राजेश, ब्रिजेश और स्वदेश श्री बसंतलाल जी के तीन पुत्र हैं। श्री गुलजारीलाल जी के दूसरे पुत्र श्री प्रभाचन्द जी का 1983 में और उनके युवा पुत्र श्री प्राणेश का 1994 में स्वर्गवास हो गया। इनके तीसरे बेटे डॉ. मुनीन्द्रकुमार जी का 1990 में स्वर्गवास हुआ। श्री प्रथमेश जैन उनके पुत्र हैं। इनके चौथे पुत्र श्री सुरेन्द्र बाबू हैं। ये बड़े उत्साही, समर्पित और निष्ठावान कार्यकर्ता हैं। 1972 में पद्मावतीपुरवाल दि. जैन पंचायत द्वारा प्रकाशित डायरेक्ट्री के सम्पादक मंडल के वे सदस्य रहे । वे अनेक स्थानीय और अखिल भारतीय संस्थाओं से जुड़े हुए हैं। पद्मावतीपुरवाल पंचायत के लिए वे हमेशा समर्पित हैं। श्री गुलजारीलाल जी के पांचवें पुत्र का नाम श्री रवीन्द्र कुमार जैन है
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पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन पंचायती मंदिर और धर्मशाला के निर्माण में इस पूरे परिवार का पर्याप्त आर्थिक योगदान रहा है। इस परिवार की महिलाएं बड़ी धार्मिक और क्रियावान हैं। सामाजिक सुख-दुख• अथवा धार्मिक अनुष्ठानों में एक साथ जाने पर परिवार की एकता और मिलनसारिता का अच्छा प्रभाव पड़ता था। अब सभी अलग-अलग और दूर-दूर रहते हैं। पुरानी हवेली सूनी हो गई है। श्री दिगम्बर जैन लाल मंदिर और पद्मावती पुरवाल पंचायती मंदिर के प्रति सभी का लगाव है। परिवार की प्रत्येक इकाई का लगभग स्वतंत्र और अलग व्यवसाय व आवास है ।
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पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास