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पड़ते हैं। नवीन पीढ़ी अवश्य ही मूलधारा से कटती जा रही है। दहेज और प्रदर्शन की भावना ने इस सदृढ़ किले में दसर डाल दी है। पैसों के लालच में दूसरी जातियों में विवाह होने लगे हैं।
विविध संस्थाओं की स्थापना एवं स्थापना में सहायक पद्मावती पुरवालब्र. गोरीलाल जी शास्त्री द्वारा1. 'पद्मावती पुरवाल' पत्र प्रकाशन 2. शास्त्रीय परिषद की स्थापना 3. जैन सिद्धान्त पत्र 4. 'पद्मावती संदेश' अ. श्रीलाल काव्यतीर्थ1. जैन सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था 2. 'विनोद' मासिक पत्र 3. टेहू ग्राम में पार्श्वनाथ दि. जैन संस्कृत विद्यालय श्री अजितकीर्य जी1. टेहू में संस्कृत विद्यालय हाईस्कूल पं. अजितकुमार जी शास्त्री1. जैन प्रमादर्श मासिकी के संपादक 2. खण्डेलवाल जैन हितेच्छु (बिना नाम के संपादन किया) 3. महावीर के श्रेय मार्ग
पपावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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