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संचालक बनकर सराहनीय कार्य किया। अनेक संस्थाओं के संस्थापक सदस्य व सहायक अधिकारी, निवाई नगर कांग्रेस के माननीय अध्यक्ष हैं और वर्षों म्यूनिस्पल बोर्ड के चेयरमैन रहे।
आपने अहिंसा परिषद् की स्थापना की। अखिल विश्व जैन मिशन के संचालक स्व. श्री कामता प्रसाद जी के साथ अहिंसा प्रचार व प्रसार में सक्रिय रहे। श्री कामता प्रसाद जी और लखनऊ के डॉ. ज्योति प्रसाद जी के निधन के बाद मिशन के संचालक का काम आपको सौंपा गया। इनके मार्ग दर्शन में मिशन के माध्यम से जैन साहित्य विदेशों में काफी भेजा गया। कार्यकर्ताओं और सहयोगियों के साथ उनका काफी स्नेह रहता था। आप निर्धन व असहाय लोगों की सेवा में हमेशा अग्रणी रहे। इसके लिए आपने एक अलग ट्रस्ट की स्थापना की, जो अभी भी चल रहा है आपके प्रथम पुत्र हास्य कवि द्वितीय पुत्र डॉ. रमेश चन्द जैन नेत्र विशेषज्ञ, तृतीय पुत्र डॉ. देवेन्द्र कुमार जैन चतुर्थ पुत्र श्री विमल कुमार जैन एवं पांचवें पुत्र डॉ. सुभाष चन्द सभी सेवा भावी सम्पन्न व परोपकारी हैं। शास्त्रीजी का स्वर्गवास हो गया।
कविवर पं. रत्नेन्दुजी कविवर पं. रत्नेन्दु जी का जन्म वि.सं. 1972 में फिरोजाबाद से उत्तर की ओर फरिहा नामक ग्राम में हुआ था। पिता श्री जोखीराम सात्विक वृत्ति के एक सद्गृहस्थ थे। ‘होनहार बिरवान के होत चीकने पात'-रलेन्दु जी बचपन से ही सुकुमार प्रकृति के एक होनहार जीव थे। दुबले-पतले शरीर, कोमल वाणी और सतेज नयनों से उनकी प्रतिभा फूट पड़ती थी। बहुत थोड़े समय में ही निरन्तर अभ्यास से काव्य कला ज्योतिष और वैद्यक में निपुणता प्राप्त कर ली थी। 20 वर्ष की अल्पावस्था में ही बे पद्यावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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