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पांच लाख रुपये से श्रीमंत सेठ मगनलाल जी हीरालाल जी पाटनी रायबहादुर द्वारा स्थापित पारमार्थिक ट्रस्ट के मैनेजर एवं सदस्य मनोनीत हुए। 1950 में जोधपुर रेडियो स्टेशन, आल इंडिया देहली आदि रेडियो स्टेशनों से धार्मिक प्रोग्राम प्रसारित करवाने में आपका सक्रिय सहयोग रहा । स्वयं भी रेडियो स्टेशन जोधपुर से भाषण दिये । अ.भा. जैन जनगणना समिति, बड़ौत एवं पशुवध निरोधक समिति देहली एवं एटा के कार्यों में सहयोग एवं स्थानीय जीव दया पालक समिति के सदस्य ।
एक हिंसात्मक व्यापारी ब्राह्मण श्री कंवरलाल पाराशर को अपने प्रभावक उपदेश से इस व्यापार से त्याग करवाया तथा परमार्थिक ट्रस्ट द्वारा जीव दया भवन का निर्माण करवाया।
सामाजिक कार्य - अपने प्रयासों से मारोठ में हायर सेकेन्ड्री स्कूल की स्थापना शासन के सौजन्य से करवाई जो श्री ऋषभचन्द गोधा उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के नाम से है।
एक सुपुत्र श्री मणीन्द्रकुमार और 5 सुपुत्रियों के बीच एक भरे-पूरे शिक्षित परिवार में शांति और संतोष का असीम रस लेते हुए जीवन यापन किया । धर्मपत्नी सौ. फूलमाला देवी भी सरल एवं धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं ।
जैन पत्र-पत्रिकाओं में लेख एवं सामाजिक सुधार, मांसाहार वर्जन संबंधी लेख, प्रेरक विचार देते रहते थे।
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डा. सुमतिचन्दजी जैन
पं. माणिकचंद्र जी न्यायाचार्य के अग्रज पं. नरसिंह दास जी के आत्मज डा. सुमतिचन्द्र जी पं. हेमचन्द्र जी अजमेर वालों के लघु भ्राता हैं ।
आप कुशल प्रशासक एवं मूर्धन्य विद्वान हैं । 'जैन धर्म आत्मा का स्थान' (Structure and Functions of Soil in Jainism ) विषय पर पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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