________________
पं. श्यामसुन्दरलालजी शास्त्री
आपके पिता श्री ओंकार प्रसाद जी जैन जमींदार थे। कुशल वैद्य होने के नाते आपने जीवन भर निःशुल्क औषधि रोगियों को दी।
जन्म स्थान एवं तिथि
शिक्षा
जीविकोपार्जन
परिवार में प्रतिभा के
पृष्ठ
ग्राम गोंछ, डाकखाना फिरोजाबाद, उ. प्र. आषाढ़ वदी अष्टमी सन् 1916 में पद्मावती पुरवाल आम्नाय में संस्कारित ।
श्री गोपाल दि. जैन सिद्धान्त महाविद्यालय मोरैना में सन् 1935 में शास्त्री तक शिक्षा ली। विद्वत वर्ष पं. मक्खन लाल जी शास्त्री न्यायालंकार आपके शिक्षा गुरु ।
आप आजीवन अविवाहित रहे तथा आपके आर्थिक उपार्जन हेतु प्रारम्भ से कपड़े का व्यापार किया ।
दो भाई और दो बहिनें ।
देवशास्त्र गुरु की भक्ति एवं सिद्धान्त शास्त्रों का अच्छा अध्ययन रहा। दिगम्बर जैन समाज बम्बई, पावागढ़, कुंथलगिरि, बाराबंकी, कलकत्ता और फिरोजाबाद में प्रवचन हेतु जाते रहे तथा अपनी पांडित्य प्रभा से समाज को प्रभावित कर 'सिद्धान्त - विज्ञ शिरोमणि' तथा 'वाणी भूषण' उपाधियां तथा अभिनन्दन पत्र प्राप्त किये। संस्कृत, हिन्दी गद्य-पद्य दोनों में लिखा ।
स्वतंत्र रचनाएं - आचार्य विमलसागर भक्तामर स्त्रोत, आचार्य महावीर कीर्ति पूजन, षट्कर्म समुच्चय और आचार्य सुधर्मसागर चरित्र हैं । बालकेशरी और स्याद्वाद मार्तण्ड पत्रिकाओं के संपादक रहे।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
138