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मुड़े और हिन्दी के दैनिक समाचार पत्र 'नवभारत टाइम्स' में 15 वर्ष तक व्यापार संपादक (कमर्शियल चीफ सब-एडीटर) के पद पर कार्य किया। सन् 1944 से 1965 तक 'वीर' पत्रिका का संपादन किया।
पंडित जी साहित्य प्रेमी थे। आपने विद्यार्थी जीवन में ही जैन काव्यों की महत्ता पर श्री दिगम्बर जैन सभा के लखनऊ अधिवेशन में भाव सहित व्याख्या करके सर्वोत्तम पारितोषिक प्राप्त किया। साहित्य सर्जन के क्षेत्र में उनकी सफल लेखनी द्वारा ‘मोक्ष शास्त्र की टीका', 'गुड़िया का घर', 'ब्रह्मगुलाल चरित' आदि अनेक उपयोगी ग्रंथों की रचना हुई थी, जो आज भी अत्यधिक चर्चित हैं। आप दिल्ली की पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन पंचायत के प्रतिष्ठित मंत्री पद पर 32 वर्ष तक रहे। आपके ही मंत्रित्व काल में श्री पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन मंदिर' तथा 'पद्मावती पुरवाल दिगम्बर जैन धर्मशाला' का निर्माण हुआ। पंडित जी ने अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन पद्मावती पुरवात पंचायत में दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया
और बाद में उपाध्यक्ष पद ग्रहण किया। आपने अपने कार्यकाल में दहेज प्रथा उन्मूलन की जोरदार वकालत की जिसके फलस्वरूप उन दिनों लगभग 20 जोड़ों के सादगी से विवाह सम्पन्न हुए।
आपने अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन परिषद द्वारा ताम्र पत्र की प्राप्ति भी की, इसके अतिरिक्त वे 'आल इण्डिया विद्वत परिषद' के आनरेरी वाइस प्रेसीडेन्ट भी रहे। पूज्य पंडित जी अपने जीवनकाल में अनेकों जैन एवं जैनेतर संस्थाओं द्वारा सम्मानित किए गए, जिसमें 'जैन मिलन इण्टरनेशनल संस्था' ने विशेष रूप से सम्मानित किया। उनके सम्मान में बोलते हुए दिल्ली के मुख्य कार्यकारी पार्षद श्री जगप्रवेश चन्द्र ने उनके जीवन को अनुकरणीय बताया।
उनके अपने परिवार की वंशावली में उनके तीनों सुपुत्र उन्हीं के पदचिन्हों पर चलते हुए इस सामाजिक जगत में कार्यरत हैं। दो पुत्र लंदन पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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