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कालिंज उज्जैन में पढ़ते हुए हाईस्कूल और इण्टर किया। होल्डर कालिज इन्दौर से एम.ए. (अर्थशास्त्र) तथा एम.ए. अंग्रेजी के उपाधि प्राप्त की। बी.आर. कालिज, आगरा से एल.टी. किया। आपके परिवार में दो भाई हैं। इनमें से राजेन्द्रकुमार जी हिन्दी, संस्कृत में एम.ए. शास्त्री हैं व पी.डी. जैन इण्टर कालिज, फिरोजाबाद में ही संस्कृत के अध्यापक हैं। आपके ताऊ बनारसीदास ने मरसलगंज में कई कमरे बनवाए।
कार्य परिचय-सन् 1953 से आपने अध्यापन कार्य प्रारम्भ किया। शुरू में विद्याभवन इण्टर कालिज, सासनी में अध्यापन कार्य करने के बाद सन् 1957 से पी.डी. जैन इण्टर कालिज में अध्यापन कार्य करते हुए 1990 में अवकाश ग्रहण किया। आप पर्युषण पर्व के अवसर पर फिरोजाबाद, महेश्वर, शिकोहाबाद में विशेष सम्मानित हुए। आप महात्मा गांधी स्मारक ट्रस्ट, जलेसर, मान-सरोवर साहित्य संगम, फिरोजाबाद, वीर समिति, उज्जैन, वर्धमान मण्डल इन्दौर के सदस्य रहे। पद्मावती संदेश की स्थापना में सहयोग ही नहीं दिया बल्कि उसके सहायक सम्पादक रहे। आपने जैन दर्शन, जैन संदेश, जैन गजट, पद्मावती संदेश में अनेक निबन्ध लिखे।
आपने अंग्रेजी में पाठ्यक्रम के अनुरूप कुछ पुस्तकें भी विद्यार्थियों के लिए लिखीं। 18 जून 1997 को मात्र 67 वर्ष की आयु में आपका निधन हो गया।
स्व. पंडित जिनेश्वरदासजी आप सरनऊ के निवासी थे कुचामन (राजस्थान) में बहुत साल तक रहे। आज भी उस समय के अधिकांश ब्राह्मण अपने को पंडित जी का शिष्य घोषित करते हुए गर्व का अनुभव करते हैं। आपकी बनाई हुई चतुर्विंशति पूजन लोकप्रिय है।
पद्मावतीपुरवाल दिगम्बर जैन जाति का उद्भव और विकास
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