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१८ * श्री लँबेचू समाजका इतिहास * आकर रहे वे बटेश्वर वाले परिया कहलाये जो भिण्डमे अटेरमें रहते हैं। मनीराम उल्फतिराय लम्बेचजैन आज भिठमें बड़ा फार्म है और अब भी श्रीमान् मनीराम उलफातेरायका मकान बटेश्वर सूरीपुरमें है और उसमें एक आदमी रखा दिया है । और सबमें प्रसिद्ध श्रीमान् बाबू ताराचन्दजी रपरिया जैन फेजल्लावादी जो इस समय आगरावाले हैं। हम इटावावाले चन्दोरियानमें हैं। सबका निकास चन्दवार ( चन्द्रपाट ) से हैं, हमारे यहाँ विवाह-शादीमें राय भाट आते हैं, उनका हक बँधा हुआ है वह दिया जाता है। वे लोग एक-एक गोत्रके विरद बखानते हैं, पुराने कवित्त हजार वर्ष पहिलेका इतिहास वृत्तान्त उन पुराने कवित्तोंमें कहते हैं जो हम इस पुस्तकके इतिहास लिखनेके बाद पिछाड़ी पृष्ठोंमें लिखेंगे। राय भाटोंसे लिखकर संग्रह किया है और भी श्री जिन प्रतिमाओं पर शिला लेख मिले हैं। दूसरे इतिहास लेखकोंने जो अपने इतिहासमें लेख दिये हैं, वे हम पीछे जहाँ उपयुक्त समझेंगे लिखेंगे और उन आचार्योंकी पट्टावलियोंमें जो पट्ठावली ( सूरीपुर ) गालियरके भट्टारकोंकी तथा सूरीपुरके आचार्योकी है और