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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास*
आज आठ सौ और चार सौ साढ़े चार सौ तथा दो सौ वर्ष पूर्वके ताम्र पत्र और प्रतिमाओंके शिलालेखोंसे स्पष्टतया प्रमाणित है कि लॅवेचू नाम का शुद्ध शब्द लम्बकञ्चुक है और यह सार्थक नाम है । तथा यदुवंशमेंसे हैं। क्षत्रिय हैं । इसमें कोई सन्देह नहीं रहता और दूसरे इन यन्त्र और प्रतिमाओं में जो आचार्योंके नाम दिये हैं वे सूरीपर (शौर्य पुर) बटेश्वर से उपलब्ध हुई आचार्य पट्टावलीके नामोंमें शक सम्वत् सहित नाम मिलते हैं। और सूरीपुर (शौर्यपुर) श्री हरिवंशपुराण लिखित श्री १००८ नेमिनाथ भगवान् की जन्म नगरी है और इसके आस-पास लँबेचजैन बसते हैं और इसी सूरीपुर बटेश्वर के नामसे लम्बेचू जातिके गोत्रों में भी विशेषण पड़ गये हैं। जैसे बटेश्वरवाले चंदोरिया जैसे चन्दवार (चन्द्रपाट) के चन्द्रपाल या चन्द्रसेन राजाके वंशके चंदोरिया गोत्र हुआ और वहाँसे बटेश्वर आकर रहे तो बटेश्वर वाले चंदौरिया पुकारने लगे। इसी प्रकार बटेश्वर वाले रपरिया-जमुनाके किनारे लम्बेचू जातिके राजा रपरसेनके वंशके रपरिया गोत्र उन्होंने रपरी शहर बसाया उसके रहनेवाले रपरसेनेके वंशके रपरिया और बटेश्वर में
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