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* श्री लॅबेचू समाजका इतिहास * १५ इत्यादि लेख ज्यादा है। पीछे लिखा है प्रतिमा प्रतिष्ठापितं जवंशेलम्बकञ्चुक साधु कमलापति इत्यादि चकवा चिन्ह श्री सुमतिनाथ स्वामीकी मूर्ति है। हाँतिकांतिसे प्राप्त हुई प्रतिमाओंकी प्रशस्ति
संवत् १२१८ शनौ श्री मूलसंधी लम्बकञ्चुकान्वये भ० साधु जिनहंस प्रतिमां प्रणमति नित्यम् ।
संवत् १६८८ फाल्गुण सुदि ८ श्री मूलसंधे २० गणे सरस्वती गच्छे श्री शीलभूषण देवास्त पट्ट भ० जगद्भूषण देवास्त दाम्नाये लम्बकञ्चुकान्वये साराप्त गोत्र संगहोड़क: पुत्रः इत्यादि।
संवत् १४६३ लँबकञ्चुकान्वये साधु पद्म तत्पुत्र हंसज तत्पुत्र गंगपतिः इत्यादि। __जहाँके श्री बाबू मुन्नालालद्वारकादास धीवाले ७६ नं० बडतल्ला स्ट्रीट कलकत्ताके हैं, यह हांतिकांति (हस्तिक्रान्ति ) कोई समयमें बड़ा शहर था। उसके रहनेवाले जो चम्मिल नदी ( चर्मणावती ) के किनारेमें बसा है। अब बहुत अगम रास्ता है जो इटावा, गाढ़ीपुरा जैन-धर्मशाला और जिन मन्दिर उन्होंने बनवाये हैं और जिसकी नींव मेरे हाथसे