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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * १३ ये दोनों सन्त्र इलाहाबाद (प्रयाग) के जिन मन्दिरोंकी नकल हैं
श्री कलिकुण्ड यन्त्रकी प्रशस्ति संवत् १६४१ फाल्गुण सुदी ३ सोमे श्री मूलसङ्घ श्री भट्टारक, श्री धर्म कीर्ति देवा स्तत्पट्ट भ० श्री शीलभूषण देवास्तत्पट्ट भ० श्री ज्ञानभूषण स्तदाम्नाये लम्ब. कञ्चुकान्वये सोनी गोत्रे साधु विनायक भार्या धारोपम श्री तत्पुत्र हमीरसेन भार्या लालो पुत्र मेदी सम्भवानन्त जगन्मेदी भार्या राणी पुत्र मीत्तलसेन सु० कु. यह कलिकुण्ड दण्ड यन्त्रकी प्रशस्ति है।
द्वितीय यन्त्र दश लक्षण शुद्धबुद्धस्वचिद्र पात् अन्यस्याभिमुखीरुचिः व्यवहारेण सम्यक्त्वं निश्चयेन तदात्मनि ॥१॥ ___ संवत् १५६० वर्षे माघ सुदी ५ शुभ दिने श्री मूलसंघे लम्बकञ्चुकान्वये बुढ़ेले गोत्रे साधु श्री सवसू तत्पुत्र खुसालसेन भार्या खेमा तत्पुत्र मन्नू भार्या धर्मा सुत सूवा युत्र मन्नू पुत्र ३ कमल श्री लघु भ्राता लालू भार्या धर्मा सकट लघु सारावनु चिरंजीवतु यह द्वितीय यन्त्रकी प्रशस्ति है।