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* श्री लँबेचू समाजका इतिहास * ११ इसलिये जिस जातिमें श्री नेमिनाथ स्वामी तीर्थक्कर बलदेव, बलभद्र तथा महाराज श्रीकृष्णनारायण सदृश उद्भट योद्धा हुए हों, जिन्होंने संसारमें रहकर बड़े-बड़े संग्रामोमें विजय पाया और संसारसे विरक्त हो कर्म शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सिद्ध पद पाया। उस जाति, उस वंशका नाम लम्बकञ्चुक सार्थक नहीं तो क्या कहें अवश्य ही सार्थक कहेंगे ॥३॥
श्री नेमिनाथ स्वामी तथा कृष्ण बलभद्रसे जगत् प्रसिद्ध हरिवंश रूपी समुद्रको बढ़ानेमें पूर्ण चन्द्रमा समान राजा लोमकर्ण या लम्बकर्णकी सन्तान होनेसे अथवा लम्बकाश्चन देशोपाधिसे यह वंश ( लमेचू जाति ) नाम लम्बकञ्चुक ऐसा प्रसिद्ध होता भया ॥४॥ - जिस श्री शुद्ध क्षत्रिय कुलमें प्रसिद्ध इस संसारमें यादवांका वंश अभिवृद्धिको प्राप्त भया और जिस वंशमें जगतके अधिपति जगन्नाथ श्री नेमिनाथ भगवान् उत्पन्न हुए यह यदुवंश ( लँबेचू जाति ) लम्बकञ्चुक वंश बड़े चिरजीवै चिरंजीव रहै वंश बढ़े अनन्त चिरकाल जयवन्त रहै ॥५॥