Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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४५०
गाथा ६
अन्य आचार्य अयोगिकेवली गुमशान के निमय मनुष्यानुपूर्वी की सत्ता क्यों मानते हैं ?
४४४ गाथा ७०
४४६-४५० कर्मक्षय के अनन्तर निष्कर्म शुद्ध आत्मस्वरूप का वर्णन ४४७ गाथा ७१
४५०-४५१ ग्रंथ का उपसंहार गामा ७२
४५१-४५२ लधुता प्रदर्शित करते हुए ग्रंथ की समाप्ति परिशिष्ट
परिशिष्ट १-षष्ठ कर्मग्रंथ की मूल गाथायें परिशिष्ट २--छह कर्मग्रंथों में आगत पारिभाषिक शब्दों
का कोष परिशिष्ट ३-कर्मग्रंथों की गाथाओं एवं व्याख्या में आगत
पिण्डप्रकृति-सूचक शब्दों का कोष परिशिष्ट ४–सप्ततिका प्रकरण की गाधाओं का अका
रादि अनुक्रम परिशिष्ट ५–कर्मग्रंथों की व्याख्या में प्रयुक्त सहायक
ग्रंथों की सूची। तालिकाएं
मार्गणाओं में मोहनीयकर्म के बन्ध, उदय, सत्ता स्थानों व उनके संवैध भंगों का दर्शक विवरण मार्गणाओं में नाम कर्म के बंध, उदय सत्ता स्थानों और उनके संवेध भंगों का दर्शक विवरण
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