Book Title: Karmagrantha Part 6
Author(s): Devendrasuri, Shreechand Surana, Devkumar Jain Shastri
Publisher: Marudharkesari Sahitya Prakashan Samiti Jodhpur
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गाया ५७
३८३-३८६
मिश्र आदि प्रमत्तविरत पर्यन्त चार गुणस्थानों की बंधयोग्य प्रकृतियों की संख्या और कारण
गाथा ५८
अप्रमत्तसंयत गुणस्थान की बंधयोग्य प्रकृतियाँ और उसका
कारण
रण गुणवान की बतयों की संख्या ब
कारण
गागा ५६
( ३८ )
मार्गणाओं में बन्धस्वामित्व को जानने की सूचना
गाया ६१
अनिवृत्तिवादर से लेकर सयोगिकेवली गुणस्थान तक की बन्धयोग्य प्रकृतियां और उनका कारण
गुणस्थानों में बन्ध प्रकृतियों का दर्शक विवरण
गाथा ६०
३८४
३८६-३८८
गतियों में प्रकृतियों की सत्ता का विचार
३८०
३८८-३६२
३५६
३८६
३६१
३६२-३६३
३६२
३६३-३६५
३६३
३३५-४२०
३६५
३६६
૪૦૪
गाया ६२
उपशम श्रेणी के विचार का प्रारम्भ अनन्तानुबन्धी चतुष्क की उपशम विधि अनन्तानुबन्धी चतुष्क की बिसंयोजना विधि दर्शनमोहनीय की उपशमना विधि चारित्रमोहनीय की उपशमना विधि उपशमश्रेणि से च्युत होकर जीव किस-किस गुणस्थान को
प्राप्त होता है, इसका विचार एक भव में कितनी बार उपशमश्रेणि पर आरोहण हो सकता है
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४१६
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