Book Title: Hajarimalmuni Smruti Granth
Author(s): Shobhachad Bharilla
Publisher: Hajarimalmuni Smruti Granth Prakashan Samiti Byavar
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है । तुम्हारा कोई सगा नहीं है । नहीं पर आज तो साथ दे रहे हैं.
मुनि श्री मिश्रीमल 'मधुकर': जीवन-वृत्त : ३१ मृत्यु के समय कोई साथ नहीं देगा. पर वे यह क्यों नहीं सोचते कि मृत्यु के समय सारा संसार स्वार्थमय है यह सोचकर अगर एक दूसरे पर विश्वास ही मनुष्य को न रहेगा तो उस हालत में संसार जरूर स्वार्थ की आग में जलने लगेगा और उस आग में पण्डित मुल्ला या साधु कोई भी नहीं बच सकेगा ।
पराजय से मनुष्य निराश हो जाता है परन्तु वस्तुतः पराजय से मनुष्य की बासी जिन्दगी में ताजगी आती है. वह मनुष्य की हलचलभरी जिन्दगी में रंगीनी ला देती है. उसके खून में उबाल आ जाता है. साँसों में गीत गूंजने लगते हैं, यद्यपि विजय महान् है परन्तु आवश्यक हो तो पराजय महत्तर है.
कल ! इस शब्द में कितनी संभावनाएं भरी पड़ी हैं. भले ही आज का दिन कितना ही निराशा के मेघों से घिरा, भय, बीमारी तथा मृत्यु की आशंका लिए है, किन्तु सौभाग्य की संभावना का कल कितना सुन्दर है ! इसलिये अच्छा हो हम मृत्यु को सिर्फ आनेवाले एक कल की तरह समझ जो असीम विश्वास और उत्साह से भरापूरा है.
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राह
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