________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२१
प्रवचन-२६ आपद्धर्म है। यदि अपने परिवार को बचाना है तो मुझे बलिदान देना ही होगा....।'
श्रीयक ने कहा : 'पिताजी, परन्तु यह पाप मेरे हाथ क्यों करवाते हो?' महामंत्री ने कहा : 'श्रीयक, तू महाराजा का अंगरक्षक है, जब तू मुझ पर तलवार का वार करेगा, राजा तुझे तुरंत पूछेगा : 'यह तूने क्या कर दिया? क्यों कर दिया?' तो तू कहना : दो-तीन दिन से मैं देख रहा हूँ कि आप मेरे पिताजी के प्रति नाराज हैं, अवश्य पिताजी ने कोई अपराध किया होगा, तभी आप नाराज होंगे....इसलिए मैंने पितृहत्या की। आप जिसके प्रति नाराज हों, उसको जीने का हक नहीं है।'
शकटाल मंत्री के अतिआग्रह से श्रीयक को उनकी आज्ञा माननी पड़ी, और दूसरे दिन राजसभा में श्रीयक ने पितृहत्या कर दी। नंदराजा ने श्रीयक से पूछा : 'श्रीयक! तूने यह क्या कर दिया? महामंत्री की, तेरे पिताजी की हत्या कर दी?' __ श्रीयक ने वही प्रत्युत्तर दिया जो महामंत्री ने बताया था। नन्दराजा ने कहा : 'मैंने सुना था कि 'शकटाल मंत्री मेरा राज्य छीन लेने का षड्यंत्र बना रहे हैं। अपने घर के भूमिगृह में अनेक शस्त्र बनवा रहे हैं.... | मैंने गुप्तचरों द्वारा गुप्त तलाश करवायी तो वास्तव में बात सही निकली । तुम्हारे घर में शस्त्र बन रहे हैं न? इसलिए मैं महामंत्री के प्रति नाराज था।'
श्रीयक स्तब्ध-सा रह गया। उसने राजा से कहा : 'महाराजा, यदि आप इस बात का खुलासा मुझ से करते तो यह अनर्थ नहीं होता, मुझे पितृहत्या का पाप नहीं करना पड़ता....। हमारे घर के भूमिगृह में शस्त्र बन रहे हैं, यह बात सही है, परन्तु यह शस्त्रोत्पादन आपके विरुद्ध विद्रोह करने के लिए नहीं परन्तु आपको भेंट देने के लिए कराये जा रहे हैं! कुछ समय के पश्चात् मेरी शादी होने वाली है, उस समय आप हमारे घर पर पधारेंगे ही, तब आपको कुछ उत्तम भेंट देने के वास्ते शस्त्र तैयार करवाये जा रहे हैं। आपके प्रति और मगध साम्राज्य के प्रति पिताजी की कितनी निष्ठा थी, यह बात आप भलीभांति जानते हैं।'
नन्दराजा श्रीयक की स्पष्टता सुनकर आश्चर्य, खेद व ग्लानि से भर गया। निष्ठावान्, बुद्धिमान और कुटनीतिज्ञ महामात्य खो देने की घोर वेदना उनके हृदय में उभर आयी। महामंत्री की खानदानी और कुलीनता के प्रति उनकी श्रद्धा दृढ़ हो गई। तभी उन्होंने श्रीयक को मंत्रीपद स्वीकार करने का अनुरोध किया था। नन्दराजा नहीं जानते थे कि श्रीयक का बड़ा भाई भी है।
For Private And Personal Use Only