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प्रवचन-३७
१५६ इतना आदर है उस घर में मेरे विरुद्ध षड्यंत्र नहीं चल सकता.... मुझे जो बातें कही गई है वे सब गलत है....।' राजा का मन निःशंक हो गया!
यदि अनुपमादेवी के वैसे शब्द नहीं निकलते तो राजा का मन शंकारहित नहीं बनता! अनुपमादेवी ने तो वस्तुपाल-तेजपाल को आबू-देलवाड़ा पर अमर कर दिया है! उनकी ही प्रेरणा से वस्तुपाल-तेजपाल ने आबू-देलवाड़ा में भव्य जिनमन्दिर बनवाया था। स्त्री प्रेरणा की पावन प्रतिमा बने : __ घर में सुशील पत्नी होती है, बुद्धिमान और विवेकी सन्नारी होती है, तो वह कभी संकट आने पर परिवार को बचा लेती है। रामायण में, श्री राम के पूर्वजों के इतिहास में, राजा नघुष की रानी सिंहिका का वृत्तान्त आता है न? पढ़ी है न जैन-रामायण? जब नघुष दक्षिणापथ के राजाओं के साथ लड़ने गया था, अयोध्या को उत्तरापथ के राजाओं ने घेर लिया था, उस समय रानी सिंहिका ने बहादुरी से सेना के साथ उन राजाओं से युद्ध कर उन्हें भगाया था! अयोध्या की रक्षा की थी! ___ शादी के ये लाभ बताकर टीकाकार आचार्यश्री ने स्त्री की गृहसंसार में कितनी महत्ता होती है वह बता दिया है! स्त्री के कर्तव्यों का निर्देश कर दिया है। पत्नी के भव्य व्यक्तित्व को बता दिया है। यदि महिलाएँ इस प्रकार अपने व्यक्तित्व का विकास करें तो अपने जीवन को तो धन्य बनाएँ, साथ साथ अपने परिवार को धर्मपुरुषार्थ में सहायक बन जाएँ। प्रेरणामूर्ति बन जाएँ।
स्त्री के प्रति पुरुष का कैसा व्यवहार होना चाहिए, पत्नी की सुरक्षा किस प्रकार करनी चाहिए और पत्नी के प्रति पति को कैसी वफादारी निभानी चाहिए.... वगैरह बातें आगे करूँगा।
आज बस, इतना ही।
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