Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 263
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २५५ प्रवचन-४५ लोकाचार के पालक श्री रामचंद्रजी : वैशाख कृष्णा एकादशी का वह दिन था। सूर्य अस्त होने में थोड़ी देर थी और लक्ष्मणजी ने रावण का वध किया। राक्षससैन्य में हाहाकार मच गया। विभीषण की प्रेरणा से राक्षससैन्य ने श्री राम की शरणागति स्वीकार कर ली। विभीषण रावण के मृतदेह को देखता रहा, उसका हृदय भ्रातृविरह से व्याकुल हो गया। वह दौड़ा और रावण के मृतदेह से लिपट गया। करुण विलाप करने लगा। रावण के वध का समाचार लंका के राजमहल में पहुँच गया....मंदोदरी वगैरह रानियों का करूण कल्पान्त शुरु हो गया। सभी रानियाँ दौड़ती युद्धभूमि पर आयी। रावण का मृतदेह देखते ही मंदोदरी मूर्छित होकर गिर पड़ी। श्रीराम, लक्ष्मण, सुग्रीव, भामंडल, हनुमान, नल नील.... अंगद वगैरह वहाँ मौन खड़े खड़े रानियों के दुःख में सहानुभूति व्यक्त कर रहे थे। विभीषण बुरी तरह रो रहा था । उसने अपनी कमर से छुरी निकाली और आत्महत्या करने के लिए तत्पर बना.... तुरंत ही श्रीराम ने विभीषण का हाथ पकड़ लिया, छुरी छीन ली और उसके सर पर हाथ फेरने लगे, आश्वासन देने लगे। ___उस समय श्री राम ने लंका के राजपरिवार को गंभीर ध्वनि से आश्वासन देते हुए कहा : श्री राम की श्रद्धांजलि : रावण को : ___'यह वह दशमुख राक्षसेश्वर है कि जिसका पराक्रम देवलोक में प्रशंसित हुआ है। उसने वीरगति प्राप्त की है। वह कीर्ति का पात्र बना है। उसका युद्धकौशल्य, प्रजाप्रियता वगैरह गुण, युगों तक प्रजा याद करती रहेगी। इसलिए उसके पीछे शोक न करें, कल्पांत न करें। राक्षसेश्वर के मृतदेह का उचित उत्तर कार्य करके निवृत्त हो।' श्री राम ने कुंभकर्ण, इन्द्रजित, मेघवाहन....वगैरह युद्धबंदियों को मुक्त कर दिया। जब वे सभी, रावण के मृतदेह के पास आये, रो पड़े। कुंभकर्ण के पास बैठकर श्री राम ने आश्वासन दिया। इन्द्रजित् और मेघवाहन को अपने उत्संग में ले लिये और बड़े वात्सल्य से कहा : 'हे वत्स, तुम शोक मत करो, विलाप मत करो। राक्षसेश्वर रावण ने अपने पराक्रम से स्वर्ग को धरा पर उतारा है। उस स्वर्ग को छोड़कर वे चले गये, अब यह स्वर्ग तुम्हारा है, पिता का अपूर्व पराक्रम तुम्हें प्राप्त है। दोनों भाई अपने जीवन में सुख-शान्ति और समृद्धि प्राप्त करोगे।' For Private And Personal Use Only

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