________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन- ४६
२५७
अपना अधिकार उठा लिया और इन्द्रजित वगैरह को कह दिया : 'यह राज्य तुम्हारा है, तुम राज करो, प्रजा का पालन करो !' कैसी अद्भुत उदारता ! ऐसा भी नहीं कहा कि 'तुम्हें राज्य सौंपता हूँ, मेरे आज्ञांकित राजा बनकर रहना होगा.....' ऐसी कोई शर्त नहीं की । सहजता से राज्य का त्याग कर दिया! 'मैं उपकार करता हूँ.... और तुम पर दया आती है.... तुम कहाँ कहाँ भटकोगे? इसलिए तुम्हारा राज्य तुम्हें सौंपता हूँ....' इस प्रकार की कोई बात नहीं की ! कोई निन्दनीय बात नहीं की ।
यदि श्री राम चाहते तो रावणवध होने के बाद तुरंत वे सीताजी के पास जा सकते थे! यदि वे चाहते तो कुंभकर्ण वगैरह को कारावास में बंद रख सकते थे! यदि वे चाहते तो लंका का राजा बन सकते थे! परन्तु यदि ऐसा करते तो वे लोकाचार - विरूद्ध कार्य करते ! उनकी शिष्टता खंडित हो जाती। औचित्यभंग शिष्टता का भंग है ।
आँसू बने वैराग्य के फूल :
श्री रामचन्द्रजी के इस प्रकार के श्रेष्ठ लोकाचार के पालन ने, श्रेष्ठ कक्षा के औचित्य के पालन ने, कुंभकर्ण, इन्द्रजित, मेघवाहन और मंदोदरी वगैरह के ऊपर कैसा अद्भूत प्रभाव डाला ? श्री राम की उदारता ने, निःस्पृहता ने, वात्सल्य ने... निर्दंभ स्नेह ने इन्द्रजित के हृदय को विरक्त बना दिया ! इन्द्रजित का अन्तःकरण संसार के सुखों से विरक्त बन गया और उसने वहीं पर श्री राम के सामने संसारत्याग करने की भावना व्यक्त की । श्रमणजीवन जीकर, मानवजीवन का श्रेष्ठ धर्मपुरुषार्थ कर लेने का निर्णय प्रगट किया। श्रीराम ने इन्द्रजित को अपने उत्संग में लेकर, गद्गद् स्वर में समझाने का प्रयत्न किया। 'तुम संसारत्याग मत करो....' लंका का विशाल साम्राज्य तुम भोगो....तुम्हें किसी प्रकार का दुःख नहीं रहेगा।' बहुत समझाया, परन्तु इन्द्रजित का निर्णय नहीं बदला। मेघवाहन ने भी श्रमणजीवन अंगीकार करने का निर्णय घोषित किया। कुंभकर्ण भी मोक्षमार्ग की साधना करने तत्पर बना । मंदोदरी वगैरह रानियों ने भी संसार का त्याग कर साध्वीजीवन स्वीकार करने की भावना व्यक्त की ।
श्री राम, लक्ष्मणजी, सुग्रीव, भामंडल वगैरह रावण के परिवार की उत्तमता देखकर नतमस्तक हो गए। सभी की आँखें आँसू बहाने लगीं। राक्षसेश्वर की मृत्यु ं से लंका की प्रजा अत्यन्त शोकातुर थी, उस प्रजा ने जब राजपरिवार की
For Private And Personal Use Only