Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 281
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रवचन-४७ २७३ रहेगा? इन आन्तरिक शत्रुओं के सहारे जीवन जीने में तू अनन्त पापकर्म बांध रहा है यह तू जानता है क्या? आन्तरिक शत्रुओं के सहारे तेरी पाँच इन्द्रियाँ कितनी उन्मादी बनी हुई हैं-इसका तू विचार करता है क्या? इन आन्तरिक शत्रुओं के कारण तू धर्मपुरुषार्थ नहीं कर सकता है-इस बात पर तू कभी सोचता है क्या? इन शत्रुओं के कारण अर्थपुरुषार्थ में एवं कामपुरुषार्थ में भी तू सफलता प्राप्त नहीं कर सकता है, इस बात पर गंभीरता से तूने कभी सोचा है?' इस प्रकार का चिन्तन-मनन करने का कभी समय निकालते हो क्या? थोड़ा समय निकाल कर, इन बातों पर सोचोगे तब तो तुम्हारे जीवन में परिवर्तन आयेगा। अच्छा परिवर्तन आयेगा। काम-क्रोध वगैरह शत्रु हैं-वे ही सचमुच शत्रु हैं, इतनी बात समझ में आ जाने पर भव्य परिवर्तन आ जायेगा। भगवान ऋषभदेव के ९८ पुत्रों के जीवन में कैसा अद्भुत परिवर्तन आया था? सुनो वह रोमांचक घटना, मैं सुनाता हूँ। भरत की विराट महत्वाकांक्षा : भगवान ऋषभदेव के १०० पुत्र थे। जब ऋषभदेव ने संसार त्याग दिया था तब उन्होंने १०० पुत्रों को, राज्य का बँटवारा करके सबको स्वतंत्र राज्य दे दिये थे। सबसे बड़ा पुत्र भरत था। भरत को चक्रवर्ती सम्राट होना था! समग्र भारत का अधिपति होना था। कई वर्षों तक भरत ने अन्य राजाओं के साथ युद्ध किये। भारत के सभी राजाओं ने भरतकी आज्ञा शिरोधार्य की। भरत अपनी राजधानी में लौट आया। एक ऐसा नियम होता है कि चक्रवर्ती होने वाला राजा जब संपूर्ण भारत विजेता बन जाता है तब उनका सर्वश्रेष्ठ शस्त्र 'चक्र' उसकी आयुधशाला में स्वतः प्रविष्ट हो जाता है। 'ऐसा कैसे होता है? क्यों होता है-'इस की चर्चा अभी नहीं करता हूँ, अभी तो मुझे भरत चक्रवर्ती के छोटे ९९ भ्राताओं के जीवनपरिवर्तन की महत्वपूर्ण बात बतानी है। जब शस्त्रागार में 'चक्र' प्रविष्ट नहीं हुआ तब भरत विचार में पड़ गये। 'भारत के छह खण्ड पर मैंने विजय प्राप्त कर लिया है, फिर भी 'चक्र' शस्त्रागार में क्यों प्रविष्ट नहीं होता?' उसने अपने महामंत्री को पूछा। महामंत्री ने कुछ समय सोच कर कहा : 'महाराजा, आपने संपूर्ण भारत पर विजय पा लिया, परन्तु आपके ९९ छोटे भाइयों ने आप की आज्ञा शिरोधार्य नहीं की है? जब तक ९९ भाई आपकी आज्ञा शिरोधार्य नहीं करेंगे - तब तक For Private And Personal Use Only

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