________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२७८
प्रवचन-४८ संबंध भी नहीं होना चाहिए। तरुण अवस्था तक शरीर का गठन होता है | यदि उस अवस्था में ब्रह्मचर्य का पालन होता है तो शरीर का ढांचा अच्छा बनता है, शारीरिक शक्ति का अच्छा निर्माण होता है। युवावस्था के प्रारम्भ से मनुष्य के मन का विकास होता है। यदि ब्रह्मचर्य का पालन होता है तो मन की स्मरण शक्ति का और चिन्तनशक्ति का अच्छा विकास होता है | जब तक कामवासना पर संयम रह सके वहाँ तक ब्रह्मचारी बने रहना चाहिए | जब कामवासना पर संयम रखना अशक्य बन जाये तब सुयोग्य व्यक्ति से शादी कर लेनी चाहिए। शादी के बाद : _जिस व्यक्ति के साथ शादी की हो, उस व्यक्ति के अलावा दूसरे किसी व्यक्ति के साथ यौन-संबंध नहीं करना चाहिए। विवाहित व्यक्ति के अलावा दूसरे व्यक्ति के साथ मैथुन-सेवन करने से शारीरिक, मानसिक, पारिवारिक और सामाजिक अनेक अनिष्ट पैदा होते हैं। शरीर में रोग, मन में अशान्ति और भय, परिवार में क्लेश और झगड़े, समाज में बेइज्जती और तिरस्कार! आध्यात्मिक दृष्टि से पापकर्म का बंधन और दुर्गति-गमन! __ कामवासना पर संयम रखने के लिए, आप लोगों को दूसरी महिलाओं का संपर्क-परिचय नहीं करना चाहिए। दूसरी महिलाओं के साथ निष्प्रयोजन बातें नहीं करनी चाहिए, हँसना नहीं चाहिए, एकान्त में मिलना नहीं चाहिए और शारीरिक स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
वैसे महिलाओं को अपने पति के अलावा दूसरे पुरुषों के साथ ज्यादा बातें नहीं करनी चाहिए, हँसना नहीं चाहिए और एकान्त में मिलना नहीं चाहिए | परपुरुष का स्पर्श भी नहीं करना चाहिए |
सभा में से : आजकल तो महिलाएँ भी पुरुषों के साथ 'सर्विस' करती हैं। इसलिए पर पुरुषों का और पर स्त्रियों का आपस में मिलना-जुलना और मित्रता होना स्वाभाविक हो गया है।
महाराजश्री : इसलिए तो उनके जीवन में अनेक अनिष्ट प्रविष्ट हो गये हैं न? ऐसी 'सर्विस' करने वाले स्त्री-पुरुषों में से एक प्रतिशत भी सदाचारी लोग मिल जायें तो मैं खुश हो जाऊँ। 'सरविस' करने वाली कई महिलाओंने अपने शील को खो दिया है। सामाजिक दृष्टि से 'पापी' नहीं कहलाने के लिए वैसे साधन का उपयोग कर लेती हैं। सरकार ने 'बर्थकन्ट्रोल' के साधन सुलभ कर
For Private And Personal Use Only