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प्रवचन-४७
हालाँकि मृणाल इतनी रूपवती भी नहीं थी! परन्तु कामवासना रूप को नहीं देखती, उसको तो चाहिए नारीदेह! मृणाल कुमारिका थी। उसमें भी कामवासना प्रबल थी... अन्यथा वह स्वयं मुंज के लिए भोजन लेकर क्यों आती? उसका तो इरादा ही था मुंज के साथ विषय-भोग करने का | मुंज का रुपवान और शक्तिशाली देह मृणाल को पसंद आ गयी थी। कामवासना पर संयम रखना, उसके विचारों में ही नहीं था । वह चाहती थी वासना की तृप्ति! पात्र मिल गया मुंज का | मुंज भी अपना विवेक खो बैठा। मृणाल के साथ विषयभोग का सुख अनुभव करता रहा।
मुंज के बुद्धिमान मंत्रियों ने मुंज को कारावास से मुक्त कराने की योजना बनाई। धरती में रास्ता बनाया । कारावास भूमिगृह में था। जब भूगर्भ रास्ता कारावास में खुला तब मुंज को पता लगा कि उसके लिए मुक्ति का मौका आ गया है। मंत्री ने भूगर्भ रास्ते से आकर मुंज को सारी योजना बता दी। मुंज बहुत खुश हो गया। जब मृणाल भोजन लेकर आई, मुंज को ज्यादा खुश देखकर वह शंकाशील बनी। भोजन करते समय मृणाल ने मुंज से पूछा : 'आज आप बहुत खुश हैं, क्या बात है?'
मुंज ने कहा : 'तुम्हें देखकर खुशी हो रही है!'
मृणाल ने कहा : 'मैं रोजाना आती हूँ..इतनी खुशी कभी नहीं देखी! बात कोई दूसरी होनी चाहिए...बताइये...क्या बात है?' ___ बात अत्यन्त गोपनीय थी, गंभीर थी, किसी को भी बताने जैसी नहीं थी। मुंज मौन रहता है। मृणाल अत्यन्त आग्रह करती है। मुंज सोचता है कि 'मृणाल को भी मेरे साथ ले चलूं....उसने मुझे इस कारावास में इतना सुख दिया है...गहरा प्रेम दिया है....वह अवश्य मेरे साथ चलेगी।' मुंज ने मृणाल पर विश्वास कर लिया और कारावास से भागने की सारी योजना बता दी! बात सुनकर मृणाल खुश हो गई। 'मुंज मुझे अपनी रानी बना देगा, इस कल्पना ने उसको आनन्द से भर दिया, उसने मुंज से कहा : 'मैं अपने गहनों का डिब्बा लेकर आती हूँ, मैं आपके साथ ही चलूँगी, आप मेरा इन्तजार करना।' मृणाल का विचार क्यों बदला? :
मृणाल गई, अपने महल में जाकर उसने सोचा : 'मुंज के अन्तःपुर में अनेक रानियाँ हैं। सभी रानियाँ रूपवती हैं....मैं रूपवती नहीं हूँ....वहाँ जाने के बाद मुंज यदि मेरे सामने नहीं देखेगा तो? यहाँ तो मेरे अलावा दूसरी कोई
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