Book Title: Dhammam Sarnam Pavajjami Part 2
Author(s): Bhadraguptasuri
Publisher: Mahavir Jain Aradhana Kendra Koba

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Page 270
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६२ प्रवचन-४६ तत्त्व हमारे विचार-व्यवहार को अशुद्ध कर देते हैं वे सारे तत्त्व हमारे शत्रु हैं! जो हमें नुकसान पहुंचाते हैं, जो हमारा अहित करते हैं, जो हमारी संपत्ति लूट लेते हैं, जो हमारा सर्वनाश कर देते हैं.... वे हमारे शत्रु हैं। कौन हैं वे हमारे शत्रु? जानते हो? जान लो उन शत्रुओं को, पहचान लो उन शत्रुओं को! ___ काम, क्रोध, लोभ, मान, मद और हर्ष-ये हैं हमारे शत्रु! हमारे भीतर बैठे हैं ये शत्रु! इन शत्रुओं ने हमारी पाँचों इन्द्रियों पर कब्जा कर लिया है, अधिकार स्थापित कर दिया है। ये शत्रु रहते हैं हमारे मन में | मन के 'हेडक्वार्टर' में रहते हुए उन्होंने सारे शरीर पर अधिकार कर लिया है। तन-मन की मालिक 'आत्मा' सोई हुई है, बेहोश है....। और ऐसे बेहोश जीवात्माओं को मुझे जगाने हैं! उनकी बेहोशी दूर करनी है.....! बेहोशी दूर होगी तभी तो वे सुन पायेंगे न? जब सुनेंगे तभी समझेंगे न? जब समझेंगे तभी उन शत्रुओं के साथ लड़ने का सोचेंगे और लड़ना शुरू करेंगे न? ___ सभा में से : हम लोग तो जगे हुए हैं न? यदि जगे हुए नहीं होते तो यहाँ...आपके पास कैसे आते? ___ महाराजश्री : यही तो भ्रमणा है! काम-क्रोध आदि शत्रुओं के प्रभाव में रहा हुआ जीव भी अपने आप को जाग्रत मानता है! ऐसे जाग्रत लोग धर्मस्थानों में आते भी हैं....परन्तु आने मात्र से क्या? काम-क्रोधादि के प्रभाव से प्रभावित लोग जो यहाँ आते हैं वे धर्मोपदेश सुनने नहीं आते। वे लोग बैठते हैं मेरे सामने, परन्तु देखते हैं महिलाओं की ओर! एक बदनाम सत्यकथा : राजस्थान के बड़े नगर में हमारा चातुर्मास था। एक लड़का जो कि कालेज के चौथे वर्ष में पढ़ता था, प्रतिदिन प्रवचन में आता था, दर्शन करने भी आया करता था। संघ के कुछ लोगों ने मुझे कहा : 'महाराजश्री, यह लड़का कभी भी उपाश्रय में नहीं आता था, आप पधारे हैं, तब से नियमित प्रवचन सुनने आया करता है....यों तो आवारा-सा है, अब शायद सुधर जाएगा....।' वे सब खुश थे! चूंकि आम धारणा ऐसी ही होती है कि धर्मस्थानों में आने वाले लोग सुधर जाते हैं! परन्तु लोग यह नहीं सोचते कि धर्मस्थानों में कभी-कभी कुत्ते भी आ जाते हैं और आवारा पशु भी आ जाते हैं! क्या वे सुधर जाते हैं?' दो महीने चातुर्मास के व्यतीत हो गये और एक दिन, प्रवचन पूर्ण होने के बाद, एक लड़की को धक्का देता हुआ वह लड़का पकड़ा गया? उस लड़की For Private And Personal Use Only

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