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प्रवचन-३९ परपुरुष के परिचय से दूर रहना चाहिए :
सुशील और समझदार महिलाओं को यदि भय और चिन्ताओं से मुक्त रहना है तो उनको परपुरुषों के परिचय से दूर रहना चाहिए। पति के मित्रों के साथ भी मर्यादित परिचय ही रखना चाहिए। अपनी मर्यादाओं का दृढ़ता से पालन करना चाहिए | परपुरुष के साथ मुसाफिरी नहीं करनी चाहिए, तीर्थयात्रा भी नहीं करनी चाहिए। परपुरुष के साथ सिनेमा-नाटक देखने या होटल में भी नहीं जाना चाहिए | पुरुष को जैसे परस्त्री के विषय में सावधान रहना है वैसे स्त्री को परपुरूष के विषय में सावधान रहना है।
परस्त्री का आकर्षण ही बड़ा खतरा है। सीता के प्रति रावण का आकर्षण ही उसके सर्वनाश का कारण बना। क्या रावण के अन्तःपुर में रानियाँ नहीं थीं? हजारों रानियाँ थीं, फिर भी परस्त्री-सीता के प्रति वह आकर्षित हो गया... और परस्त्री को स्वस्त्री बनाने का दुष्प्रयत्न किया.... परिणाम क्या आया, आप जानते हो। परस्त्री को स्वस्त्री बनाने की इच्छा छोड़ दो। परस्त्री से प्रेम करने की कल्पना भी दिमाग में से निकाल दो। मुक्त सहचार : सर्वनाश की सड़क : __ परिस्थिति गंभीर है। बड़े नगरों में परस्त्री और परपुरुष के साथ घूमना फिरना, बातें करना, हँसना और नाचना... फैशन हो गया है। शारीरिक संबंध भी होने लगे हैं। परन्तु उन लोगों के सामने धर्म और मोक्ष की बात ही नहीं है। आत्मा और परमात्मा की कल्पना भी नहीं है। पाप और पुण्य की बातें शायद उन्होंने सुनी भी नहीं होगी। उनको रंग-राग और भोग-विलास ही जीवन लगा है। 'मरकर फिर से जनम लेना पड़ेगा....' यह विचार भी उनको नहीं है। कौन समझाये उनको? आप लोग उनका अनुकरण करने जाओगे तो बरबाद हो जाओगे। सिनेमा में, टी.वी. में, मेगझिनों में... ऐसा देखने को मिलता है और मूर्ख अज्ञानी जीव उनका अनुकरण करने लग जाते हैं। ज्यों पुरुष परस्त्री में आसक्त हुआ, ज्यों स्त्री परपुरुष में आसक्त हुई, कि उनको पारिवारिक जीवन में अशान्ति पैदा हो जाएगी। परिवार में अव्यवस्था फैल जाएगी। पारस्परिक स्नेह कम होता जायेगा। झगड़े शुरु हो जायेंगे... आर्थिक गिरावट भी आ सकती है। सामाजिक प्रतिष्ठा गिरती जाती है....और एक दिन सर्वनाश हो के रहेगा।
स्त्री-पुरुष के सम्बन्धों को लेकर आजकल अखबारों में, पत्रिकाओं में,
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