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प्रवचन - ४०
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हो जायेंगे।' दूत ने कहा : 'यह तो शुरूआत है, शराब का दूसरा दौर चलने दो.... उस समय इन लोगों की अवदशा पूंछ पटपटाते कुत्तों जैसी हो जायेगी.... बाद में खूंखार भेड़िये जैसे बन जायेंगे और लड़ने लगेंगे!'
शराब का दूसरा दौर शुरू हुआ। अब किसानों के वाद-विवाद में उग्रता एवं पशुता आ गई। एक दूसरे को गालियाँ बकने लगे । झगड़ने लगे..... मुक्केबाजी करने लगे। शैतान इस रसप्रद दृश्य को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो गया, अपने दूत कहने लगा : 'तूने बहुत अच्छा काम कर दिखाया !' दूत ने कहा : 'देखते रहें आप! तीसरा दौर शुरू होने दो! अभी ये लोग एक-दूसरे की ओर घूर रहे हैं... अब वे पागल सुअर से बन जायेंगे !'
पागल बनते जा रहे हैं :
शराब का तीसरा दौर शुरू हुआ। सभी ने एक-एक प्याला पिया और सबने अपने होश गँवा दिये। सभी चिल्लाने लगे, हँसने लगे.... और जमीन पर गिरने लगे।
महफिल समाप्त हुई। कुछ लोग लड़खड़ाते हुए अकेले घर की ओर जाने लगे। कुछ लोग दो-दो तीन की टोली में जाने लगे । यजमान किसान अपने मित्रों को बिदा करने कुछ दूरी तक गया, वापस लौटते समय अंधकार में, एक गटर में वह गिर गया। पूरा का पूरा गंदगी से सन गया। वहीं पर पड़ा-पड़ा बड़बड़ाने लगा....|
शैतान की खुशी का ठिकाना नहीं था । उसने दूत से कहा : तूने वास्तव में अद्भुत पेय खोज निकाला है। रोटी के समय तेरी जो भूल हुई थी वह क्षमापात्र है। परन्तु तू मुझे यह बता कि तूने यह पेय पदार्थ बनाया कैसे ? अवश्य तूने सर्व प्रथम इस पेय में सियार का खून डाला होगा। जिसकी बजह से ये किसान सियार की तरह एक-दूसरे के विरूद्ध दाव खेल रहे थे। उसके बाद तूने उसमें भेडिये का खून मिलाया होगा । चूंकि उसके असर से वे लोग भेड़िये की तरह घुर्रा रहे थे। और इसके बाद तूने सुअर का रक्त डाला होगा शराब में। चूंकि वे लोग वास्तव में सुअर बन गये थे।
शराब में बहता जानवरों का खून :
दूत ने कहा : 'नहीं, नहीं, ऐसा कुछ भी मैंने इसमें नहीं डाला था। मैंने तो इतनी ही करामात की थी कि उस किसान को आवश्यकता से काफी ज्यादा
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