________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन-४२
२०८ अपन किसी का गुणानुवाद नहीं करते हैं परन्तु गुणानुवाद करने वालों के प्रति सद्भाव तो होना ही चाहिए।
जो मनुष्य किसी का दोष नहीं देखता है, मात्र गुण ही देखता है, वह मनुष्य गुणानुरागी बन सकता है। गुणानुरागी ही गुणानुवाद कर सकता है! हालाँकि यह काम सरल नहीं है! गुणदर्शन भी एक दिव्यकला है! गुण-दोषों से भरे हुए जीवों में मात्र गुण देखना, दोष नहीं देखना यह काम सुलभ तो नहीं है! परन्तु सुलभ बनाना तो होगा ही! अशक्य या असंभव नहीं है! ऐसा होता तो बात ही नहीं करता। दोष सभी जीवों में होते हैं, फिर भी दोष, देखने के नहीं हैं! आप लोग कहेंगे कि 'मनुष्य में दोष होते हैं तभी दिखाई देते हैं न!' तो मेरा कहना यह है कि मनुष्य में गुण भी होते हैं! वे गुण क्यों नहीं दिखाई देते? आप गुण क्यों नहीं देखते? __ जिस बात का हमारे हृदय में अनुराग होता है, जिस वस्तु के प्रति हमारा हृदय आकर्षित होता है, दूसरे जीवों में वही दिखाई देती है! हमारी चाहना के अनुरूप दूसरे जीवों में दर्शन होता है! यदि चाहना गुणों की होगी तो दूसरे जीवों में गुण दिखाई देंगे, यदि चाहना दोषों की होगी तो दूसरे जीवों में दोष दिखाई देंगे। विश्व के बाजार में सब कुछ मिलता है! आपकी दृष्टि उस मार्केट में उस वस्तु को ही खोजेगी जो कि आपको प्रिय होगी! जिसके प्रति आपकी चाहना आपको होगी। जीवों में गुण भी हैं, दोष भी हैं! आपकी चाहना गुणों की होगी तो अवश्य आपको गुण दिखाई देंगे। आपकी चाहना दोषों की होगी तो आपको दोष दिखाई देंगे! इसका अर्थ यह है कि जो होता है वही दिखाई देता है- ऐसा एकान्त नियम नहीं है, हमारी जो चाहना होती है वह हमें दिखाई देता है। गुणदर्शन किये बिना गुणानुवाद करोगे कैसे?
गुणदर्शन के बिना गुणानुवाद नहीं हो सकेगा। गुणदर्शन के बिना गुणानुरागी गुणानुवाद करने वालों की प्रशंसा ही नहीं होगी। गुणानुरागी की प्रशंसा किये बिना जीवन में गुणसमृद्धि आयेगी ही नहीं। गुणसमृद्धि के बिना मोक्षमार्ग पर प्रगति होगी नहीं। जीवन में आत्मानन्द की अनुभूति होगी नहीं। श्रीपालमयणासुन्दरी दोनों गुणवानों के प्रशंसक थे। श्रीपाल ने तो अपनी माता के सामने मयणा की प्रशंसा की थी, मयणा के गुणों की प्रशंसा की थी।
गुणदृष्टि होना अत्यन्त आवश्यक है। गृहस्थधर्म का पालन सुचारू रूप से
For Private And Personal Use Only