________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
२५०
प्रवचन-४५ में भी ये बातें महत्त्व रखती हैं। कार्यदक्षता, कार्य कुशलता प्राप्त करने के लिए इन बातों का पूरा खयाल करना अनिवार्य होता है। उत्तम पुरुषों में ऐसी कार्यदक्षता देखकर प्रशंसा करते रहो। पुरुषार्थ के लिए प्रमाद-त्याग अनिवार्य :
एक और विशेषता शिष्ट पुरुषों में पायी जाती है, वह है प्रमाद का त्याग! ऊपर जो बातें बतायीं उनके साथ इसका प्रगाढ़ संबंध है। प्रमादत्यागी मनुष्य ही अपने प्रधान कार्य की सिद्धि के लिए पुरुषार्थशील बन सकता है और उचित देश-काल का लक्ष्य रख सकता है। चन्द्ररश्मि अप्रमादी था, क्षण का भी प्रमाद किये बिना उसने सुग्रीव के अन्तःपुर की रक्षा की। यदि थोड़ा सा भी प्रमाद करता या लापरवाही दिखाता तो नकली सुग्रीव अन्तःपुर में प्रवेश कर देता और तारारानी का अपहरण भी कर सकता था!
शिष्ट पुरुषों के जीवन में निद्रा, विकथा वगैरह प्रमाद नहीं होते। सदैव अप्रमत्तता, शिष्ट पुरुषों की विशेषता होती है। इस गुण की प्रशंसा करते रहोगे.... हृदय से प्रशंसा करते रहोगे तो आपका प्रमाद भी दूर हो सकता है।
प्रमाद, आलस्य, लापरवाही.... मनुष्य के बड़े शत्र हैं। न होने देते हैं आत्मविकास, नहीं होने देते है भौतिक विकास | प्रमादी मनुष्य उन्नति नहीं कर सकता है। यदि आप लोगों को उन्नति करनी है, आत्मविकास करना है....तो प्रमाद का त्याग करना ही होगा। सतत पुरुषार्थशील रहना होगा।
शिष्ट-सज्जन पुरुषों की ये सारी विशेषताएँ जानकर आप उनके प्रशंसक बने रहें और उन विशेषताओं को पाने के लिए पुरुषार्थशील बने रहो, इसलिए ये सारी बातें बता रहा हूँ। अब, शिष्ट पुरुषों की तीन और विशेषताएँ बतानी शेष हैं, ये बताकर यह विषय समाप्त करूँगा।
आज, बस इतना ही।
For Private And Personal Use Only