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प्रवचन-४० विषय में जाग्रत रहना चाहिए। पशुओं के चमड़े में से कई मौजशौक की वस्तुएं बनती हैं। पशुओं को क्रूरता से मारा जाता है और चमड़ा उतार कर वैसी वस्तुएं बनायी जाती हैं। जियो और जीने दो : __ ऐसी वस्तुओं का उपभोग करने वाले लोग परोक्षरूप से हिंसा को उत्तेजना देते हैं। 'जियो और जीने दो' सूत्र भुलाया जा रहा है। 'दूसरों को मार कर भी मौजशौक करो।' सूत्र का अनुसरण हो रहा है। मनुष्य दयाहीन....क्रूर बनता जा रहा है। ध्यान रखना, यदि मनुष्य दूसरे जीवों के प्रति क्रूर बना तो कुदरत मनुष्य के प्रति क्रूर बन जायेगी। लाखों-करोड़ों मनुष्यों को क्रूरता से मरने का समय आ सकता है। कुदरत के भी सिद्धान्त हैं। इसलिए कभी भी मांसाहार करने का सोचना नहीं। हिंसाजन्य पदार्थों का उपभोग करना नहीं। धर्मआराधना प्रसन्नचित्त से करने के लिए ये बातें बताता हूँ| इन्सान को हैवान बनानेवाला मद्यपान :
पांचवा अनिष्ट है मद्यपान का। शराबी मनुष्य आत्मकल्याण का महान् धर्मपुरुषार्थ नहीं कर सकता है। शराब मनुष्य को हैवान बना देता है। शराबी कौन-सा बुरा काम नहीं करता है? शराब को लेकर लियो टॉलस्टाय ने एक कहानी लिखी है, बहुत मार्मिक और बोधप्रद कहानी है, आप शान्ति से वह कहानी सुनें। एक कहानी
एक किसान था। प्रातः नास्ते के लिए एक पाऊं रोटी लेकर अपने खेत में गया। उसने रोटी अपने कोट में लपेट ली और कोट को वृक्षों की घटा में रख दिया। उसने खेती का काम शुरू किया । मध्याह्न तक उसने खेती का काम किया, जब उसका घोड़ा थक गया, जिसको हल के साथ जोड़ा था, उसको छोड़ दिया और खुद भी क्षुधा शान्त करने के लिए अपना कोट लेकर बैठा। कोट में रोटी खोजता है परन्तु रोटी नहीं मिली.... उसने इर्दगिर्द देखा... परन्तु रोटी नहीं मिली। किसान को बड़ा आश्चर्य हुआ.... 'बड़ा आश्चर्य! इधर कोई मनुष्य तो क्या, कोई पशु भी नहीं आया है... तो रोटी कौन ले गया?' किसान स्वयं बोलता था।
दूर वृक्षघटा में शैतान का दूत खड़ा हँस रहा था। किसान की रोटी वही
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