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प्रवचन- ३२
५. किसी की अमानत आपके पास हो, उसको हड़पना नहीं । ६. यदि ब्याज का धंधा करते हो, तो ज्यादा ब्याज नहीं लें ।
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७. किसी से रुपये वसूल करते समय क्रूर नहीं बनें।
८. स्मगलिंग तस्करी ( अवैध धंधा ) जैसे धंधे नहीं करें। ९. जुआ नहीं खेलें ।
यदि दृढ़ मनोबल से ये सारी बातें जीवनव्यवहार में लाने का प्रयत्न करोगे तो गृहस्थधर्म की नींव मजबूत बन जायेगी। आपका धार्मिक जीवन दूसरे मनुष्यों का आदर्श बन जायेगा। लोगों के हृदय में परमात्मा के प्रति, सद्गुरुओं के प्रति और सद्धर्म के प्रति सद्भाव पैदा होगा। धर्म की सच्ची प्रभावना इस प्रकार होती है । मात्र पेड़े या बतासे बाँटकर धर्मप्रभावना नहीं की जाती । न्यायपूर्ण व्यवहार से उपार्जित धन-सम्पत्ति आपके मन में पवित्र विचार पैदा करेगी। जहाँ-जहाँ भी आप उस धन का दान दोगे, वहाँ भी उन्नति होगी। न्याय-संपन्नता को अखंड रखते हुए, गृहस्थजीवन के दूसरे सामान्य धर्मों का पालन कर मोक्षमार्ग की आराधना करते रहो, यही मंगल कामना ।
आज बस, इतना ही ।