________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रवचन- ३७
१५१
पूर्ण नहीं करोगे तो कौन करेगा? आप ही बताइए, मैं किस समाज के पास जाऊँ और प्रयास करूँ ?
धर्म के इन प्राथमिक उपदेशों की उपेक्षा करके, धर्मशासन को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाया गया है। जो धर्म हमारा भला करना चाहता है, हमारा कल्याण करना चाहता है, उस धर्म का हम बुरा कर रहे हैं ! उसको धोखा दे रहे हैं! गृहस्थ जीवन के इन सामान्य धर्मों का अध्ययन करके, समझकर उसे जीवन में स्थान दो, आप विश्वास करें कि इससे आपका हित ही होगा ।
यदि पत्नी सुशील, सात्त्विक और संस्कारी है, संतान भी सुशील, तेजस्वी और विनयादि गुणवाले हैं; तो आपका चित्त, आपका मन शान्त रहेगा, आपको मानसिक प्रसन्नता मिलेगी। आप स्वस्थ और प्रशान्त बने रहेंगे। चित्त की स्वस्थता और प्रसन्नता बनी रहती है तो फिर दूसरा क्या चाहिए ? यदि वह स्वस्थता प्रसन्नता नहीं है और दुनिया की संपत्ति मिल जाय तो भी किस काम की वह संपत्ति ? अस्वस्थ, अशान्त और उद्विग्न चित्तवाले श्रीमन्तों को पूछो कि 'आप सुखी हो?' क्या जवाब मिलता है, सुनना ।
परिवार को संस्कारी बनाइए :
आत्मकल्याण की आराधना में, आत्मविशुद्धि की आराधना में मनुष्य का मन निराकुल बना रहना अत्यन्त जरूरी होता है । शान्त और स्वस्थ मन से ही धर्माराधना सुचारू रूप से हो सकती है। अच्छा परिवार होने से मन शान्त और स्वस्थ रह सकता है । प्रतिकुल परिवार के बीच रहते हुए मन की शान्ति और स्वस्थता बनाये रखना सरल नहीं है ।
सभा में से : अच्छा अनुकूल परिवार तो पुण्योदय से प्राप्त होता है न? महाराजश्री : सभी सुख पुण्योदय से प्राप्त होते हैं । आप लोग सुख पाने का पुरुषार्थ नहीं करते हो न ? पुण्योदय के बिना धन-संपत्ति प्राप्त होती है क्या? तो पुरुषार्थ किसलिए करते हो? अच्छा परिवार पुण्योदय से प्राप्त होता है, फिर भी परिवार को अच्छा बनाने का प्रयत्न करना अत्यन्त आवश्यक होता है । परिवार को अच्छी शिक्षा मिले, अच्छे संस्कार मिलें, अच्छा वातावरण मिले, इसलिए कोई प्रबन्ध करते हो? कोई प्रबन्ध नहीं ! वैसे ही पुण्योदय हो जायेगा और परिवार सुधर जायेगा, इस आशा से बैठे रहो और आकाश के तारे गिनते रहो!
अच्छा परिवार चाहिए तो सर्वप्रथम कुलवान्, शीलवान् और समझदार स्त्री
For Private And Personal Use Only