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प्रवचन-३७
___ १५२ से शादी-संबंध करना चाहिए। संतान को गर्भावस्था से सुसंस्कारी बनाने की माता की जाग्रति चाहिए | जन्म होने के बाद बच्चे को कुशलता से शिक्षा देनी चाहिए। आपको अपने दिमाग को 'कन्ट्रोल' में रखते हुए परिवार के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए। दर्शन-श्रवण-वाचन में सावधान रहना जरूरी है :
आपके और आपके परिवार को तीन बातों में पूर्ण सावधानी बरतनी होगी। दर्शन, श्रवण और वाचन में सावधानी होनी चाहिए | मनुष्य में कोई भी अच्छाई या बुराई का प्रवेश तीन द्वारों से होता है। ___ आप जो देखोगे, सुनोगे और पढ़ोगे, आपके मन पर उसका असर होगा ही। तत्काल असर का ख्याल भी नहीं आयेगा, धीरे-धीरे असर बढ़ता जायेगा, आपके आचरण में वह बात आ जायेगी! आप आश्चर्य करोगे कि 'मुझ में यह परिवर्तन कैसे आ गया?' वह परिवर्तन कुछ देखने से अथवा कुछ सुनने से अथवा कुछ पढ़ने से!
चोरी करनेवाले कुछ युवक जब पकड़े गये, उन्होंने न्यायाधीश के सामने कबूल किया कि 'फलां सिनेमा देखने से चोरी करने की इच्छा हुई। चोरी करने की पद्धति भी पिक्चर से ही सीखी....!' किसी की हत्या करनेवालों ने कबूल किया है कि 'अमुक व्यक्ति से मैंने सुना कि उस व्यक्ति ने मेरी पत्नी से दुर्व्यवहार किया है, और मुझे तीव्र रोष आया, रिवॉल्वर लेकर पहुँचा उधर
और उस व्यक्ति पर गोली छोड़ दी.... मार दिया उसको।। ___ अभी-अभी विदेश का एक किस्सा पढ़ने में आया। एक युवक जासूसी उपन्यास बहुत पढ़ता रहता था। एक उपन्यास में डाकू बैंक लूटता है और लाखों रूपये लेकर भाग जाता है। बस, उस युवक ने भी बैंक लूटने की स्कीम बनाई। जिस पद्धति से उपन्यास के डाकू ने बैंक लूटा था, उसी पद्धति से वह बैंक लूटने चला.... बैंक के आगे पहुँचा और तुरन्त पकड़ा गया!
यदि परिवार अच्छा चाहिए तो सिनेमा देखना, टीवी देखना.... परस्त्री को देखना शीघ्र बंद कर दो। परनिन्दा सुनना, फालतू बातें सुनना, गंदे गीत सुनना बंद कर दो। जासूसी उपन्यास पढ़ना, सामाजिक वीभत्स कहानियाँ पढ़ना, फिल्मी मेगेज़ीन पढ़ना छोड़ दो। इतनी सावधानी तो रखनी ही होगी। पति-पत्नी दोनों की विचारधारा समान होगी और दोनों अपनी संतानों को गुणवान्, शीलवान् और संस्कारी बनाने की इच्छावाले होंगे तो ही यह काम
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