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प्रवचन- ३२
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गया। ड्राइवर ने 'फुल स्पीड़' से गाड़ी जुहू की ओर दौड़ायी । जुहू पहुँचकर, पेटी निकाल कर, दोनों ने समुद्र में डाल दी। वापस गाड़ी में बैठकर वे पायधुनी पर आये । ड्राइवर ने गाड़ी रोकी और अपना किराया माँगा । उसने कहा कि 'इतना किराया नहीं मिलेगा । '
ड्राइवर के साथ झगड़ा हो गया। ड्राइवर को कुछ शंका तो हो ही गई थी.... उसने तुरन्त ही गाड़ी स्टार्ट कर दी और पुलिस स्टेशन पर ले जाकर गाड़ी खड़ी कर दी। पुलिस स्टेशन के बाहर ही गोरा पुलिस सार्जंट खड़ा था। ड्राइवर ने सार्जंट से कहा : 'प्लीज, आप इस आदमी को 'एरेस्ट' कर लीजिए, मुझे शंका है कि इसने किसी की हत्या की है ..... ।' पुलिस सार्जंट ने शीघ्र ही उसको पकड़ लिया, उसके हाथ-पैर बाँध दिये गये ।
ड्राइवर ने कहा : 'यदि आप अभी मेरे साथ जुहू चलें तो जो पेटी इसने समुद्र में डाल दी है, उस पेटी को खोल कर देखें.... आप मेरी गाड़ी में पड़े खून के निशान भी देख सकते हैं। पेटी समुद्र में डालने के बाद ये निशान मेरे देखने में आये हैं ।'
पुलिस ने तुरंत ही टैक्सी में पड़े खून के निशान देखे और अंग्रेज सार्जंट उसी टैक्सी में बैठकर जुहू की ओर दौड़ पड़ा। वह पेटी समुद्र के किनारे के पानी में ही डाली हुई थी.... सो ड्राइवर ने आसानी से पेटी निकाल ली । ताला तोड़ दिया गया। पेटी खोली, मृतदेह के टुकड़े दिखाई दिये । पेटी को टैक्सी में डलवा कर सार्जंट पुलिस स्टेशन पर आ गया ।
गलत काम का फल तो भुगतना ही होगा !
उस मित्र ने मित्र-हत्या की बात स्वीकार कर ली। पुलिस ने उसके घर की तलाशी ली.... एक पानी से भरे मिट्टी के बरतन में से लाख रूपये की 'ज्वेलरी' पुलिस ने प्राप्त कर ली। केस चला, उस हत्यारे को आजीवन कारावास की सजा हो गई।
जिस लाख रुपये के लोभ में आकर उसने मित्रद्रोह किया, मित्रहत्या की, क्या अंजाम आया? क्या लाख रुपये उसको मिल गये ? लखपति बन गया ? सारी जिन्दगी अब उसको कारावास में गुजारनी होगी न? क्या हुआ उसकी पत्नी का ? क्या हुआ होगा उसके बच्चों का ? अन्याय - अनीति से उत्पन्न होनेवाले अनर्थों की परंपरा का खयाल करो । दिमाग से सोचो।
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