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प्रवचन-३५
१२५ दिखायी दी। उसने अपना आग्रह छोड़ दिया, इतना ही नहीं उसने स्वयं धीरे धीरे क्लबों में और पार्टियों में जाना कम कर दिया। उसने भी भारतीय वेशभूषा पसन्द कर ली। परन्तु ऐसे पुरुष कितने मिलेंगे? पत्नी की सच्ची बात को कितने पति स्वीकार करते होंगे? 'मैं ही समझदार हूँ,' ऐसा अभिमान रखने वाले पुरुष पत्नी की सच्ची बात को भी स्वीकार नहीं करते। 'तू कुछ नहीं समझती है, तू उन्नीसवीं शताब्दि में जी रही है, समाज के साथ रहना चाहिए, दुनिया कितनी आगे बढ़ रही है तू नहीं जानती है।' ऐसी तो अनेक बातें आज के आधुनिक पति करते रहते हैं। __ इससे विपरीत, ऐसे पुरुष आज हैं कि जो मर्यादावाली वेश-भूषा पसन्द करते हैं, परन्तु उनकी पत्नियाँ आधुनिक वेश पसन्द करती हैं। हालाँकि शादी के पूर्व यह बात सोचने की होती है। परन्तु मानों की इस बात पर ध्यान नहीं गया और शादी कर ली, बाद में वेश-भूषा का प्रश्न खड़ा हुआ और झगड़ा चालू! स्त्रियों को नौकरी नहीं करनी चाहिए :
शादी के बाद जो पत्नियाँ सर्विस करती हैं यानी नौकरी करती हैं वे पत्नियाँ ज्यादातर वैसी वेश-भूषा पसन्द करती हैं, जो वेशभूषा उनके 'बॉस' को पसन्द आती हो! वे पत्नियाँ ऐसी 'हेयर स्टाइल' पसन्द करती हैं जो उनके 'बॉस' को प्रिय होती है! पत्नियाँ अपने पति से भी ज्यादा अपने 'बॉस' को खुश रखने को तत्पर रहती है! क्योंकि रुपये 'बॉस' देता है!
सभा में से : तो क्या पत्नियों को नौकरी नहीं करनी चाहिए?
महाराजश्री : क्यों करनी चाहिए? स्त्री को ऐसा पति पसन्द करना चाहिए कि जो पत्नी का पालन कर सकता हो । मान लो कि शादी के बाद परिस्थिति बदल गई और पति अर्थोपार्जन करने में समर्थ नहीं रहा, उस समय पत्नी को अर्थोपार्जन का प्रयत्न करना चाहिए | परन्तु वैसा व्यवसाय अथवा वैसी सर्विस पसन्द करनी चाहिए कि उसको पुरुषों के संपर्क में नहीं आना पड़े। अपने शील और सदाचार की सुरक्षा पहले सोचनी चाहिए। सर्विस के बहाने क्या-क्या चल रहा है? :
आजकल तो सुखी और श्रीमंत घराने की महिलाएं भी नौकरी करती हैं! कहती है : 'घर पर टाइम पास नहीं होता है।' कैसे 'टाइम पास' होगा? घर
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