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प्रवचन-३४
११९ न? लड़की के साथ-साथ लाख रूपये देने पर भी लड़की का जीवन सलामत नहीं है! श्रीमन्त परिवार लड़की के लिए जब श्रीमन्त परिवार का लड़का नहीं मिलता है, गरीब परिवार के लड़के तब महंगे हो जाते हैं.... लाख रुपये दो तो तुम्हारी लड़की से शादी कर सकता हूँ!' 'पचास हजार दो तो शादी करूँगा....।' शादी भी हो जाती है, परन्तु इस प्रकार की शादियों में लड़की का उत्पीड़न ही होता रहता है। पति समझता हो कि पत्नी का पिता मालदार है! जब-जब चाहिए पत्नी को तंग करता है : 'जा तेरे पिता से रुपये दस हजार ले आ, पाँच हजार ले आ!' यदि पत्नी पिता से लाकर देती है तो ठीक है, यदि नहीं ला देती है तो पत्नी को परेशान करता रहता है। ___ अभी-अभी मैंने सुना है कि बम्बई में एक लड़के की श्रीमन्त परिवार की लड़की के साथ शादी हुई। लड़का पढ़ा-लिखा तो था परन्तु आवारा था। उसके पिता महीने के ५००/६०० रूपये कमाते थे। लड़का कोई काम-धन्धा नहीं करता था। ससुर ने शादी में ५० हजार रुपये का फ्लेट दिया और ५० हजार नगद दिये। शादी के बाद तीन-चार महीने तो सुख-शान्ति से व्यतीत हुए | उसके बाद पत्नी को उसके पिता के घर भेज दिया। दो महीने बीत गये परन्तु पत्नी को वह लेने नहीं गया। पत्नी स्वयं चलकर आयी तो तुरंत ही निकाल दी....पिता के घर भेज दिया। लड़की के पिता ने जब पूछा कि 'मेरी बेटी को क्यों भेज दिया? तो उसने गलत आरोप लगाये पत्नी पर, और कह दिया कि अब कभी भी मैं उसको अपने घर में नहीं रखूगा.... आप चाहें तो दूसरे किसी के साथ उसकी शादी कर दो!'
लड़की के पिता ने कहा : 'तो यह फ्लेट खाली कर दो और ५० हजार रुपये वापस कर दो।' लड़के ने निर्लज्ज होकर कह दिया : 'यदि यहाँ आकर अब कभी भी फ्लेट की या रुपये की बात की है तो यह देख लेना।' कहकर कमर से बड़ा चाकू निकाला! बेचारा वह सद्गृहस्थ-लड़की का पिता तो स्तब्ध रह गया, कुछ बोला नहीं.... चुपचाप अपने घर लौट आया। ___ परिस्थिति तो काफी स्फोटक बन गई है । पाँचों प्रकार की समानतावाला शादी-संबंध काफी दुर्लभ है । अनन्त पुण्य का उदय हो तब ही ऐसा संबंध हो सकता है। कुल-वंश की समानता मिलती है तो शील की समानता नहीं मिलती! शील की समानता मिलती है तो वैभव की समानता नहीं मिलती! वैभव की समानता मिलती है तो शील की समानता नहीं मिलती! बड़ी समस्या है न? हालाँकि संसार ही सबसे बड़ी समस्या है! अनन्त विषमताओं से भरा
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