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प्रवचन-२७
___ २७ धर्महीन और पापलीन सरकार से पाला पड़ा है :
सभा में से : आजकल तो सरकार ऐसे निम्न स्तर के व्यवसायों को प्रोत्साहन देती है! शराब की दुकानों के लायसंस सरकार देती है, सिनेमा बनाने के स्टूडियो बांधने में सहायता देती है, डॉक्टरों को गर्भपात के ऑपरेशन करने की 'परमिट' सरकार देती है!
महाराजश्री : सरकार कौनसा धंधा नहीं करती है, नहीं करवाती है? आपकी सरकार स्वयं व्यापारी बन गई है। जिस धंधे से धन मिलता हो, वे सब धंधे सरकार करती है। प्रति दिन बूचड़खाने में लाखों पशुओं की हत्या क्यों होती है? बहुत से बड़े-बड़े बूचड़खाने सरकार चलाती है न? क्यों? पैसा कमाना है सरकार को! विदेशों में बंदर जैसे असंख्य पशुओं का निर्यात होता है, क्यों? पैसा कमाना है सरकार को! सरकार मत्स्यउद्योग चलाती है! सरकार मच्छीमार बन गई है आज! सारे के सारे निन्दनीय व्यापार सरकार कर रही है और प्रजा से करवा रही है। दुर्भाग्य है देश का कि ऐसी धर्महीन और पापलीन सरकार देश को मिली है। यदि काँग्रेस सरकार सत्ता से हट भी जाय और दूसरी सरकार आये, तो भी ये पाप के धंधे तो चलनेवाले ही हैं। दुनिया के सभी देशों में सरकारें आजकल व्यापारी बन गई हैं। सरकारें पापपुण्य के सिद्धान्तों को मानती कहाँ हैं? सरकारों को धर्म से कौन सा नाता है? मात्र भौतिक समृद्धि ही लक्ष्य बन गई है सरकारों की। विश्व की प्रजा का लक्ष्य भी भौतिक समृद्धि बन गया। जो भी काम करने से ज्यादा धन मिलता है, वह काम करने जैसा माना गया है आज की दुनिया में । इसलिए तो आज घोरातिघोर हिंसा दुनिया में फैल गई है। देश और दुनियाभर में हिंसा का बोलबाला :
देश और दुनिया में हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है। शराब को विश्वव्यापी बना दिया गया है। झूठ और चोरी को तो अब लोग 'कर्तव्य' मानने लग गये हैं। व्यभिचार जैसा घोर पाप मात्र मनोरंजन बन गया है। मांसभक्षण का काफी जोरशोर से प्रचार हो रहा है। अंडे, शाकाहारी अंडे! इनका भी कितना धुआंधार प्रचार हो रहा है? ऐसी दुनिया में आपको जीना है और इन बुराइयों से बचना है! अत्यंत सावधान रहोगे तो ही बच पाओगे | त्याज्य और निंदनीय धंधों के आकर्षक विज्ञापन प्रकाशित होते हैं अखबारों में, होते हैं न? यदि ऐसे विज्ञापनों के प्रभाव में आ गये तो फंस जाओगे। ऐसे प्रचार के प्रभाव में फँसना मत।
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