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प्रवचन-३० रूपयों का माल बेचने के लिए दिया करते थे। यह युवक अपनी दलाली भी बड़ी प्रामाणिकता से लेता था।
एक दिन एक व्यापारी से लाख रूपये के जवाहरात लेकर यह युवक दूसरे व्यापारी के वहाँ जा रहा था। रास्ते में एक अनजान परन्तु सज्जन गृहस्थ मिल गया। उसने कहा : 'मैंने आपकी तारीफ सुनी है, आप न्याय-नीति से व्यापार करते हैं। मुझे एक हार की आवश्यकता है, यदि आप दिलवा सको तो, आप जो दलाली चाहेंगे दे दूंगा।' इस युवक ने कहा : 'मेरे पास हार है, यदि आपको चाहिए तो उसका जो मूल्य है, दे दो और माल ले जाओ।' इस गृहस्थ ने कहा : 'हार की पसंदगी मेरी पत्नी करेगी, आप मेरे घर पर पधारें, वहाँ मेरी पत्नी हार देख लेगी और मैं रूपये भी वहाँ दे दूंगा। दलाल ने बात मान ली, तुरंत ही किराये की टैक्सी कर ली और दोनों उसमें बैठ गये। गाड़ी दौड़ने लगी। दादर गया, खार गया, अंधेरी गया..... गाड़ी रुकती ही नहीं है। अंधेरी से आगे गाड़ी जंगल में दौड़ने लगी।' दलाल को शंका हो गई। उसने ड्राइवर को गाड़ी रोकने के लिए बार-बार कहा, परन्तु ड्राइवर ने गाड़ी नहीं रोकी। उस सज्जन दिखने वाले गृहस्थ ने अपनी जेब में से रिवोल्वर निकाली और दलाल के कान पर रिवोल्वर रखकर बोला : 'चुप मर, यदि चिल्लाया तो खोपड़ी फट जाएगी....।' दलाल के साथ धोखा :
दलाल स्तब्ध रह गया। उसके जीवन में ऐसी भयानक घटना पहली बार ही घट रही थी। गाड़ी जंगल में एक मकान के आगे जाकर रुक गई। डाकू ने दलाल को गाड़ी से उतारा और मकान में ले गया। तीन मंजिला मकान था। वह डाकू दलाल को तीसरी मंजिल पर ले गया और कहा : 'यहाँ बैठना थोड़ी देर, मैं वापस आता हूँ।'
डाकू नीचे उतर गया। दलाल अपने मन में सोचता है : 'अब यहाँ से बचकर निकलना असंभव-सा लगता है। उधर बाजार में जब व्यापारी मुझे नहीं देखेंगे, तब क्या सोचेंगे? जिस पार्टी का माल मेरे पास है, वह पार्टी मेरे लिए क्या सोचेगी? मेरी नीतिमत्ता और न्यायपरायणता पर उनको अविश्वास हो जाएगा। दूसरे नीतिमान लोगों पर भी लोग विश्वास नहीं करेंगे.... बड़ा अनर्थ हो जाएगा....। यदि यह डाकू मेरा माल लेकर, मुझे यहाँ से जिन्दा जाने दे, तो भी मैं उसका एहसान मानूँगा, परन्तु यह मुझे यहाँ से जिन्दा नहीं जाने देगा।'
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