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प्रवचन-30
७२ वह सोचता है और इधर-उधर देखता है। तीसरी मंजिल पर सिर्फ एक खिड़की है। उसने खिड़की से नीचे देखा | पीछे जंगल था । जंगल में से एक रास्ता गुजरता था। उसके दिमाग में एक विचार आया, परन्तु यदि योजना सफल न हुई तो प्राण का खतरा था। परन्तु साहस के बिना सिद्धि प्राप्त नहीं होती है। उसने साहस करने का संकल्प किया। लाख रूपये का माल अभी उस के पास में ही है।
दलाल को रास्ता सूझता है :
वह पानी पीने के बहाने नीचे आया। वह डाकू वहाँ भोजन कर रहा था। उसने पूछा : 'क्यों नीचे आया?' इसने कहा : 'मुझे बड़ी प्यास लगी है, पानी पीना है।' नौकर ने उसको पानी दिया, इसने पानी पी लिया और चढ़ने लगा। वह डाकू भोजन करने में व्यस्त था। उसने.... उस दलाल ने ऊपर चढ़कर पहली मंजिल का दरवाजा भीतर से बंद कर दिया, धीरे से...जरा भी आवाज न हो वैसे बंद किया। फिर दूसरी मंजिल का दरवाजा बंद कर दिया और तीसरी मंजिल पर पहुँच कर उसके दरवाजे भी भीतर से बंद कर दिये। अब नीचे से जिसको आना हो, उसको तीन दरवाजे तोड़ने पड़ते, तो ही ऊपर जाया जा सकता था।
दलाल ने तीसरी मंजिल की उस खिड़की से नीचे गिरने की तैयारी कर ली। जवाहरात को अपने कोट में बराबर रख लिया, कोट में से माल गिर न जाय, वैसे पैक कर लिया और भगवान का नाम लेकर के नीचे कूद पड़ा।
देखो उस प्रामाणिक दलाल का भाग्य! जब वह नीचे गिरा, नीचे उस रास्ते से ट्रक अनाज से भरी हुई जा रही थी। एक पारसी बाबा की ट्रक थी वह । दलाल सीधा उस ट्रक में जा गिरा! धबांग-सी आवाज हुई। ट्रक का ड्राइवर घबराया। जंगल था...अचानक ट्रक में किसी के गिरने की आवाज सुनकर पारसी बाबा बोला, 'ट्रक रोको मत । स्पीड बढ़ा दो। गाड़ी को सीधी बम्बई में खड़ी कर दो।' दलाल बच जाता है :
ड्राइवर ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी । वह दलाल तो ट्रक में गिरते ही बेहोश हो गया था। पारसी बाबा घबरा रहा था। क्या पता.... ट्रक में क्या गिरा है, कौन गिरा है....? उसने ट्रक को बम्बई में पायधुनी पुलिस स्टेशन के सामने लाकर खड़ा कर दिया । ड्राइवर और मालिक दोनों ट्रक के ऊपर चढ़े, देखा
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