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प्रवचन-२८ करने जाए तो घर का गुजारा होना भी मुश्किल हो जाए | आजकल घर का खर्च काफी बढ़ गया है।
महाराजश्री : जीवन में कभी ६-१२ महीने के लिए भी प्रयोग किया है न्याय-नीति से अर्थोपार्जन करने का? बिना प्रयोग किये आपने कैसे मान लिया कि न्याय नीति से कम रूपये मिलते हैं? आप प्रयोग करके देखो। १-२ साल या ४-५ साल प्रयोग करें। मान लो कि 'लाभान्तराय कर्म' का उदय होगा तो कम रूपये मिलेंगे, तो खर्च कम कर देना। आय के अनुसार व्यय करना चाहिए, नहीं कि व्यय के अनुसार आय का पुरुषार्थ! कितने फालतू खर्च आप लोग कर रहे हो? 'फैशन' व्यसन और अनुकरण ने आज लोगों के 'टेंशन' बढ़ा दिये हैं। सतत 'टेंशन' में जीने वाले लोग क्या खाक धर्माराधना करेंगे?
'फैशन' व्यसन और अनुकरण में कितने रूपये खर्च हो जाते हैं? फिर वे रूपये कमाने के लिए कोई भी बुरे से बुरा धंधा करने को तैयार होते हैं! सच बात है ना! घर की सजावट 'लेटेस्ट फैशन' की! 'फैशनेबल' कपड़े! 'फैशनेबल हेयर-ड्रेसिंग' | 'फैशनेबल' जूते । 'फैशनेबल हेन्ड बैग' | चूँकि आप लोगों को ज्ञानी पुरुषों के मार्गदर्शन के अनुसार नहीं चलना है, दुनिया के लोगों का अनुकरण करना है। पश्चिम के देशों का अनुकरण करना है।' सिनेमा के 'एक्टर' और 'एक्ट्रेसों' का अनुकरण करना है। ऐसे अनेक प्रकार के अनुकरण करने के लिए पैसे तो ढेर सारे चाहिए | न्याय-नीति और प्रामाणिकता से संभव है इतने सारे पैसे नहीं मिल सकते, यदि लाभान्तराय कर्म का उदय हो तो। सिनेमा : भयंकर पाप :
कितने व्यसन प्रविष्ट हो गये हैं आपके जीवन में | चाय, बीड़ी और सिगरेट के व्यसन तो अब मामूली व्यसन गिने जाते हैं। नये व्यसन हैं क्लबों में जाकर जुआ खेलने का | पार्टियों में जाकर 'ड्रिंक्स' करने का यानी शराब पीने का | ___ मांसाहारी होटलों में जाकर अंडे... आमलेट वगैरह खाने का! वेश्याओं के वहाँ रातें बिताने का! ये सारे शुभ कार्य करने वालों को रूपये तो चाहिए! रूपयों के बिना ये सारे विलास नहीं हो सकते हैं। ये रूपये कमाने के लिए गोरखधंधे करने पड़ते हैं। परन्तु सच कहूँ तो ऐसे पापकर्म करने वालों के लिए ऐसे फैशनपरस्त, व्यसनग्रस्त और अनुकरणशील जीवों के लिए यह मोक्षमार्ग है ही नहीं। जिन लोगों की दृष्टि ही भोगदृष्टि है, जिन लोगों को दुनियादारी
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