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प्रवचन-२९ रूपये मिलते हों और पत्नी भी खो जाय तो आपको चिन्ता नहीं है! पांडवों ने जुआ खेलते-खेलते द्रौपदी को खो दिया था न? परन्तु आप लोग जुआ तो नहीं खेलते होंगे?
सभा में से : यूं रास्ते में बैठकर या घर में नहीं खेलते हैं....क्लबों में जाकर खेलते हैं।
महाराजश्री : क्लबों में जुआ खेलने जाते हो? आप लोग जैन हो? अपने आपको जैन कहलाते हो और जुआ खेलते हो? क्यों जैनत्व को बदनाम करते हो? यदि ऐसे ही अनैतिक धंधे करते हो तो अपने आपको जैन कहलाना बन्द कर दो। जुआ खेलकर लखपति बन जाना है क्या? कोई जुआरी लखपति बना है क्या? ध्यान रखिए, लखपति हो तो दुःखपति बन जाओगे | बहुत बुरा धन्धा है यह । स्वयं बरबाद हो जाओगे, परिवार को भी बरबाद कर दोगे। दो धंधे बुरे हैं : जुआ और तस्करी : __ जैसे जुआ खेलना अत्यन्त खराब धंधा है वैसे 'स्मगलिंग' का धंधा भी बहुत ही खराब है। आजकाल यह धंधा बड़े-बड़े शहरों में व्यापक बनता जा रहा है। यह चोरी का धंधा है। अनीतिपूर्ण धंधा है। इस 'बिजनेस' में अच्छे, समाज के लोग भी प्रविष्ट हो गये हैं। कुछ लोगों ने इस धंधे में लाखों रूपये कमा लिये हैं... यह देखकर दूसरों के मन में भी इस धंधे का आकर्षण जगा है। लोग तो गतानुगतिक हैं।
परन्तु इसका नतीजा अच्छा नहीं है स्मगलरों-तस्करों की जिन्दगी कितनी तनावपूर्ण व भयभीत होती है, यह मैं जानता हूँ। मैंने ऐसे कुछ तस्करों की जिन्दगी देखी है। पास में लाखों रूपये होने पर भी वे निरन्तर अशान्त और व्याकुल होते हैं। उनके रूपये ज्यादातर बुरे कार्यों में ही खर्च हो जाते हैं। कभी न कभी उनकी संपत्ति नष्ट हो के रहेगी। उनका जीवन संकटों में बुरी तरह फँस जायेगा। उनको कोई बचानेवाला नहीं मिलेगा। जरा मोह कम करो :
जिस 'बिजनेस' में अनीति-अन्याय और बेईमानी करनी पड़ती हो, वैसा 'बिजनेस' मत करो। वैसी 'सर्विस' भी मत करो। मानोगे मेरी बात? गलत रास्ते धन कमाने का मोह छोड़ दो। सीधे रास्ते चलो, न्याय-नीति के मार्ग पर चलते हुए जितने रूपये मिलें, उतने रूपयों में गुजारा कर लो। अपने परिवार
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