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प्रवचन-२७ व्यापार में समयज्ञाता जरूरी :
व्यापार-व्यवसाय में जिस प्रकार आर्थिक स्थिति का विचार करना आवश्यक है, वैसे काल-समय का विचार करना भी आवश्यक है। किस समय कौनसा व्यापार करना चाहिए। किस समय माल खरीदना चाहिए और किस समय बेचना चाहिए। किस मौसम में कौनसा व्यापार करना चाहिए, किस मौसम में कौन-सा व्यापार नहीं करना चाहिए, यह भी बुद्धि का, तीव्र बुद्धि का विषय है। जिसके पास इस प्रकार सोचने की बुद्धि नहीं होती है, वे लोग गलत धंधा कर लेते हैं और नुकसान करते हैं। ___ व्यापार का क्षेत्र नहीं हो, राजसेवा, श्रेष्ठिसेवा अथवा दूसरी कोई नौकरी हो, वहाँ पर भी समय का ख्याल करना नितांत आवश्यक होता है। जिस समय नौकरी में हाजिर होना हो, उस समय पहुँच जाना चाहिए, जिस समय जो काम करने का मालिक का आदेश हो, उस समय वह काम करना चाहिए | जितना समय नौकरी का नियत किया हो, उतना समय पूरा देना चाहिए।
सभा में से : आजकल तो नौकरों की समस्याएं काफी बढ़ गई हैं। नौकरों की ओर से व्यापारीवर्ग को परेशानियों का पार नहीं है। नौकर मालिक बनने जा रहा है।
महाराजश्री : इसका मूलभूत कारण खोजना चाहिए । 'नौकरी न्यायपुरस्सर करनी चाहिए,' 'नौकरी में प्रमाणिकता बरतनी चाहिए, यह सिद्धान्त भुला दिया गया है। नौकरों की ओर से मात्र व्यापारी वर्ग को ही परेशानी नहीं है, सरकार को भी पूरी परेशानी है। आये दिन हड़तालें होती रहती हैं। हिंसा बरती जाती है। उद्योग स्थगित हो जाते हैं। करोड़ों रूपयों का नुकसान हो जाता है। नौकरों ने देश में आतंकपूर्ण वातावरण पैदा कर दिया है। नौकरों के 'युनियन' बन गये हैं | 'युनियन' के माध्यम से मालिकों के साथ झगड़े होते हैं, लड़ाइयाँ होती हैं। स्नेह-सहानुभूति के झरने सूख गये : ___ मालिक और नौकर के बीच प्रेम का संबंध नहीं रहा। स्नेह और सहानुभूति नहीं रही। मात्र रूपयों का संबंध बन गया है। दोनों के बीच गहरी खाई बन गई है। नौकरों ने मालिकों का विश्वास खो दिया है। जहाँ अधिकार की लड़ाई होती है वहाँ प्रेम का अमृत सूख जाता है। जिस व्यक्ति के जीवन में प्रेम का अमृत नहीं रहा, उस व्यक्ति का जीवन नहीं रहता, मात्र एक यंत्र बन जाता है।
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