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होता-चाहे वह गालियां ही दे रहा हो।
खलील जिब्रान की एक कहानी है। एक आदमी परदेस गया। वह एक बड़े होटल के सामने खड़ा है। लोग भीतर आ रहे हैं, जा रहे हैं, बैरे लोगों का स्वागत कर रहे हैं-उसने समझा कि कोई राज-भोज है। वह भी चला गया। उसका भी स्वागत किया गया। उसको भी बिठाया गया। थाली लगाई गई, उसने भोजन किया।
उसने कहा, अदभुत नगर है! इतना अतिथि सत्कार! फिर बैरा तश्तरी में रख कर उसका बिल ले आया। लेकिन वह समझा कि बड़े अदभुत लोग हैं, लिख कर धन्यवाद भी दे रहे हैं कि आपने बड़ी कृपा की कि आप आए! वह झुक झुक कर नमस्कार करने लगा। वह बोला कि बड़ा खुश हूं। मगर वह बैरे को कुछ समझ में न आया कि मामला क्या है, यह झुक किसलिए रहा है, नमस्कार किसलिए कर रहा है! कुछ समझा नहीं, तो मैनेजर को बुला लाया।
उस आदमी ने समझा कि हद हो गई, अब खुद मालिक आ रहा है महल का! वह झुक झुक कर नमस्कार करने लगा और बड़ी प्रशंसा करने लगा, लेकिन एक-दूसरे की बात किसी को समझ में न आए। मैनेजर ने समझा, या तो पागल है या हद दर्जे का धूर्त है। उसको पुलिस के हवाले कर दिया। वह समझा कि अब शायद सम्राट के पास ले जा रहे हैं। वह ले जाया गया अदालत में, मजिस्ट्रेट बैठा था, वह समझा कि सम्राट......:|
मजिस्ट्रेट ने सारी बात समझने की कोशिश की, लेकिन समझने का वहां कोई उपाय न था। वहां भाषा एक-दूसरे की कोई जानता न था। आखिर उसने दंड दिया कि कुछ भी हो, इसको गधे पर बिठा कर, तख्ती लगा कर इसके गले में कि यह धूर्त है, दगाबाज है और दूसरे लोग सावधान रहें ताकि यह गांव में किसी और को धोखा न दे सके, इसकी फेरी लगवाई जाए। जब उसको गधे पर बिठाया जाने लगा, तब तो उसकी आंख से आंसू बहने लगे आनंद के। उसने कहा, हद हो गई, अब जुलूस निकाला जा रहा है! मैं सीधा-सादा आदमी, मैं कोई नेता वगैरह नहीं हूं मगर मेरा जुलूस निकाला जा रहा है। मैं तो बिलकुल गरीब आदमी हूं, यह तो नेताओं को शोभा देता है, यह आप क्या कर रहे
मगर कोई उसकी सुने नहीं। जब वह गधे पर बैठ कर गांव में घूमने लगा तो स्वभावत: भीड़ भी पीछे चली। बच्चे चले शोरगुल मचाते। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं है। जीवन में ऐसा कभी अवसर मिला नहीं था। एक ही बात मन में चुभने लगी कि आज कोई अपने देश का होता और देख लेता। जा कर कहूंगा तो कोई मानेगा भी नहीं।
वह बड़ी गौर से देख रहा है भीड़ को। जब बीच चौरस्ते पर उसका जुलूस पहुंचा शोभा यात्रा -और काफी भीड़ इकट्ठी हो गई, तो उसे भीड़ में एक आदमी दिखाई पड़ा। वह आदमी उसके देश का था। वह चिल्लाया कि अरे, मेरे भाई, देखो क्या हो रहा है! लेकिन वह दूसरा आदमी तो इस देश की भाषा समझने लगा था, यहां कई साल रह चुका था। ऐसा सिर झुका कर वह भीड़ में से निकल गया कि कोई दूसरा यह न देख ले कि हमारा इनसे संबंध है। लेकिन गधे पर बैठे हुए नेता ने समझा कि