________________
बचें और शांत होकर बचें। बैठे हैं महल में शांत! तुम बचे तो शांत बच ही नहीं सकते।
तुम गए नदी के किनारे या समुद्र के किनारे और तुमने देखा कि बड़ा तूफान है, सागर पर बड़ी लहरें हैं, बड़ा तूफान है। फिर तुमने देखा, तूफान चला गया। तो लोग कहते हैं : तूफान शांत हो गया। लेकिन यह भाषा ठीक नहीं। इससे ऐसा लगता कि तूफान अब भी है और शांत होकर है। लोग कहते हैं : तूफान शांत हो गया। कलना चाहिए. तूफान नहीं हो गया। वस्तुतः तूफान शांत हो गया, इसका इतना ही अर्थ है कि तूफान अब नहीं है। तुम शांत हो गए, इसका इतना ही अर्थ है कि तुम अब नहीं हो। तो कोन विचलित होगा? विचलित होने के लिए होना तो चाहिए ! कोन डावांडोल होगा! आएं तूफान, जाएं तूफान, गुजरें तूफान - तुम शून्य हो गए।
बाहर तो वसंत और आएगा नहीं
मन रे, भीतर कोई वसंत पैदा कर !
वसंत यानी मौसम और मिजाज के बीच समरसता ।
निदाग हो तब भी
फूलों के लिए रोना नहीं ।
पक्षी सारे उड़ गए
अब डालियां सूनी हैं
यह सोच कर
ग्लानि में खोना नहीं । हर मौसम में
नीरव और निश्चित रहना
वसंत की नदी की भांति
मंद-मंद बहना !
वसंत यानी मौसम और मिजाज के बीच समरसता ।
शांति का क्या अर्थ है? शांति का अर्थ है. तुम्हारे और अस्तित्व के बीच समरसता। न मैं रहा, न तू रहा; दोनों जुड़ गए और एक हो गए। अब तुम्हें कोन विचलित करेगा?
मेरे पास लोग आते हैं। वे कहते हैं कि ' ध्यान असंभव है। घर में करने बैठते हैं तो पत्नी जोर से थालियां गिराने लगती है, बर्तन तोड्ने लगती है, बच्चे शोर-गुल मचाने लगते हैं, ट्रेन निकल जाती है, रास्ते पर कारें हार्न बजाती हैं-ध्यान करना बहुत मुश्किल है सुविधा नहीं है। तुम ध्यान जानते ही नहीं। ध्यान का अर्थ यह नहीं है कि पत्नी बर्तन न गिराए, बच्चे रोएं न, सड़क से गाड़ियां न निकलें, ट्रेन न निकले, हवाई जहाज न गुजरे। अगर तुम्हारे ध्यान का ऐसा मतलब है, तब तो तुम अकेले बचो तभी ध्यान हो सकता है... पशु-पक्षी भी न बचें।
क्योंकि एक आदमी ऐसा ध्यानी था, वह घर छोड़ कर भाग गया। वह जा कर एक वृक्ष के बैठा। उसने कहा, अब यहां तो ध्यान होगा। एक कोए ने बीट कर दी, बौखला उठा। उसने कहा