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यह तरल कहानी किसकी है! यह अमर निशानी किसकी है!
रोते-रोते भी आंखें मुंद जाएं सूरत दिख जाती है मेरे आंसू में मुसक मिलाने की नादानी किसकी है! यह अमर निशानी किसकी है!
सूखी अस्थि, रक्त भी सूखा सूखे दृग के झरने तो भी जीवन हरा कहो मधुभरी जवानी किसकी है! यह अमर निशानी किसकी है!
रैन अंधेरी, बीहड़ पथ है यादें थकी अकेली आंखें मुंदी जाती हैं चरणों की बानी किसकी है!
यह अमर निशानी किसकी है! जैसे ही तुम शांत हुए तुम पाओगे वही आता है श्वास में भीतर, वही जाता श्वास में बाहर! वही आता, वही जाता। वही है, वही था, वही होगा! एक ही है!
हरि ओम तत्सत्!