Book Title: Ashtavakra Mahagita Part 03
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 413
________________ फिर भी तेरे गहन चित्त में एक बात बनी ही रहेगी कि जो मिलना चाहिए अभी मिला नहीं। ऊपर-ऊपर सब शांत हो जाये, भीतर-भीतर आग का दावानल बहेगा। ऊपर-ऊपर सब मौन मालूम होने लगे, भीतर ज्वालामुखी जलेगा। उस स्वभाव के लिए मन में बार-बार तरंग उठेगी, जिसमें सब आशायें लय हो जाती हैं। यह समाधि भी एक वासना ही है, जो जबर्दस्ती साध ली गई। यह चेष्टा से जो आ गई है, यह वास्तविक नहीं है। इससे कुछ हल न होगा। अब सुनना आगे का सूत्र! एक के बाद एक सूत्र और अदभुत होता जाता है। 'प्रयास से सब लोग दुखी हैं!' सुना तुमने कभी किसी शास्त्र को यह कहते? 'प्रयास से सब लोग दुखी हैं, इसको कोई नहीं जानता! इसी उपदेश से भाग्यवान निर्वाण को प्राप्त होते हैं।' 'प्रयास से सब लोग दुखी हैं!' तुम्हारी चेष्टा के कारण तुम दुखी हो। इसलिए तुम्हारी चेष्टा से तो तुम कभी सुखी न हो सकोगे। तुम्हारी चेष्टा यानी तुम्हारा अहंकार। तुम्हारी चेष्टा यानी तुम्हारा यह दावा कि मैं यह करके दिखा दूंगा, धन कमा लूंगा, पद कमा लूंगा, समाधि लगा लूंगा, परमात्मा को भी मुट्ठी में ले कर दिखा दूंगा! तुम्हारी चेष्टा यानी तुम्हारी अहंकार की घोषणा कि मैं कर्ता हा आयासत्सकलो दुःखी नैनं जानाति कश्चन। आयास से, प्रयास से, चेष्टा से दुख पैदा हो रहा है-इसे बहुत शायद ही कोई विरला जानता हो। जो जान लेता है वह धन्यभागी है। अनेनैवोपदेशेन धन्यः। जो ऐसा जान ले, इस उपदेश को पहचान ले, वह धन्यभागी है, वह भाग्यशाली है। क्योंकि निर्वाण उसका है। फिर उसे कोई निर्वाण से रोक नहीं सकता। इसका अर्थ समझो। निर्वाण का अर्थ है. सहज समाधि। निर्वाण का अर्थ है : जो समाधि अपने से लग जाये, तुम्हारे लगाने से नहीं; जो प्रसाद-रूप मिले, प्रयास-रूप नहीं। तुम जो भी कमा लाओगे वह तुमसे छोटा होगा। कृत्य कर्ता से बड़ा नहीं हो सकता। तुमने अगर कविता लिखी तो तुमसे छोटी होगी कविता कवि से बड़ी नहीं हो सकती। और तुमने अगर चित्र बनाया है तो तुमसे छोटा होगा चित्र चित्रकार से बड़ा नहीं हो सकता। तुम अगर नाचे तो तुम्हारा नृत्य तुम्हारी सीमा से छोटा होगा, क्योंकि नृत्य नर्तक

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